EPS की न्यूनतम पेंशन 2000 रुपये करने का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय ने किया ख़ारिज

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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि की न्यूनतम पेंशन वर्तमान 1000 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये करने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। यह प्रस्ताव श्रम मंत्रालय ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय को भेजा था। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के फैसले लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीबीटी) की शनिवार को हुई हालिया बैठक में इस प्रस्ताव को नामंजूर किए जाने के बारे में जानकारी दी गई।

इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्र ने बताया, ‘सरकार की उच्चाधिकार समिति ने ईपीएस के तहत न्यूनतम पेंशन को 1000 रुपये से बढ़ाकर 2000 करने का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा था। सरकार ने इस उच्चाधिकार समिति का गठन किया था। इस उच्चाधिकार समिति ने न्यूनतम पेंशन बढ़ाने के लिए अतिरिक्त बजटीय प्रस्ताव का प्रस्ताव भेजा था। लेकिन वित्त मंत्रालय इस प्रस्ताव से सहमत नहीं था।’

सामाजिक सुरक्षा संगठन की वित्त वर्ष 23 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार इस पेंशन योजना के अंतर्गत 75.5 लाख पेंशनर्स हैं। इनमें से 36.4 लाख पेंशनर्स को 1000 रुपये तक की मासिक पेंशन प्राप्त होती है। इस क्रम में 11.7 लाख पेंशनर्स को 1,001 से 1,500 रुपये तक की मासिक पेंशन मिलती है। हालांकि 8,68,000 पेंशनर्स को 1,501 से 2,000 रुपये तक की पेंशन मिलती है। इस क्रम में केवल 26,769 पेंशनर्स को 5,000 रुपये से अधिक की पेंशन मिलती है।

केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड के एक सदस्य ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘इस बैठक में हमारी मांग न्यूनतम पेंशन को बढ़ाने की रही। पेंशन फंड का सालाना मूल्यांकन किया जाता है और यदि यह कोष इजाजत देता है तो अतिरिक्त रियायत मुहैया करवाई जाती है।

वर्ष 2000 के बाद से ज्यादातर किए गए मूल्यांकन में कोष घाटे में था और इसलिए कोई अतिरिक्ति रियायत मुहैया नहीं कराई गई। केंद्र सरकार ने 2014 में बजटीय मदद मुहैया नहीं कराई थी और इससे न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये से अधिक नहीं बढ़ी थी। व्यापक स्तर पर न्यूनतम पेंशन बढ़ाए जाने की मांग उठाई जा रही है। लिहाजा भविष्य में न्यूनतम पेंशन बढ़ाई जानी चाहिए।’

ईपीएस, 1995 स्व वित्त मुहैया कराने वाली योजना है। इसमें कर्मचारी की मासिक आय का 8.33 प्रतिशत कर्मचारी भविष्य निधि कोष में मुहैया करवाया जाता है और इसके अलावा केंद्र सरकार मासिक वेतन पर 1.66 प्रतिशत (केवल 15,000 रुपये से कम के मूल वेतन पर) राशि मुहैया करवाती है।

संसद की श्रम मामलों की स्थायी समिति ने मार्च 2022 में श्रम मंत्रालय से कहा था कि 1000 रुपये की मासिक पेंशन‘बेहद अपर्याप्त’ है। समिति ने श्रम मंत्रालय को यह मामला वित्त मंत्रालय के समक्ष रखकर पर्याप्त बजटीय मदद प्राप्त करने के लिए कहा था।

केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड की शनिवार को हुई 235वीं बैठक में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 8.25 प्रतिशत ब्याज देने की सिफारिश की गई, जो तीन साल में सबसे ज्यादा है। बोर्ड ने 2023-24 में ईपीएफओ के सदस्यों की कुल करीब 13 लाख करोड़ रुपये की राशि पर 1.07 लाख करोड़ रुपये सदस्यों को वितरित करने की सिफारिश की। अनुमान यह है कि इस भुगतान के बाद वित्त वर्ष 23 में ईपीएफओ के पास 278 करोड़ रुपये का अधिशेष रहेगा।