नई दिल्ली। Soybean crushing: चालू तेल वर्ष 2023-24 (अक्टूबर से सितंबर) के तीसरे महीने दिसंबर में सोयाबीन की पेराई सुस्त पड़ गई है। दिसंबर महीने में सालाना और मासिक दोनों आधार पर सोयाबीन की पेराई में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। इसकी वजह वैश्विक बाजार में सोया खली की निर्यात मांग कमजोर पड़ना है।
चालू तेल वर्ष के दिसंबर महीने में सोयाबीन की पेराई में बड़ी गिरावट आई है। सोयाबीन उद्योग के प्रमुख संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर महीने में 9 लाख टन सोयाबीन की पेराई हुई, जो पिछले साल के समान महीने में हुई 12.50 लाख टन पेराई से 28 फीसदी कम है। साथ ही यह चालू तेल वर्ष के नवंबर महीने में हुई 12 लाख टन पेराई से 25 फीसदी कम है।
दिसंबर में आई इस गिरावट से चालू तेल वर्ष के शुरुआती 3 महीनों में सोयाबीन की कुल पेराई में भी कमी दर्ज की गई है। शुरुआती दो महीने अक्टूबर-नवंबर में सोयाबीन पेराई 9 फीसदी बढ़कर 23.50 लाख टन दर्ज की गई थी। लेकिन अक्टूबर-दिसंबर में पेराई 4.4 फीसदी घटकर 32.50 लाख टन रह गई। हालांकि सोपा के मुताबिक चालू तेल वर्ष में 120 लाख टन सोयाबीन की पेराई होने का अनुमान है, जो पिछले तेल वर्ष में हुई 115 लाख टन पेराई से 5.75 फीसदी अधिक है।
सोया खली का निर्यात घटा
सोपा के अनुसार चालू तेल वर्ष के दिसंबर महीने में सोया खली का निर्यात घटकर करीब आधा रह गया। चालू तेल वर्ष के दिसंबर में 1.25 लाख टन सोया खली का निर्यात हुआ, जबकि पिछले तेल वर्ष के इसी महीने में यह आंकड़ा 2.38 लाख टन था।
चालू तेल वर्ष के नवंबर महीने में 2.07 लाख टन की तुलना में भी दिसंबर में सोया खली के निर्यात में 82 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। चालू तेल वर्ष के पहले तीन महीने में सोया खली का कुल निर्यात 4 लाख टन रहा, जो पिछली समान अवधि के निर्यात 4.19 लाख टन से कम है।
भारतीय सोया खली महंगी
कमोडिटी विशेषज्ञ इंद्रजीत पॉल ने बताया कि देश में खाद्य तेलों का आयात काफी बढ़ गया है। साथ ही वैश्विक बाजार में भारतीय सोया खली की मांग सुस्त पड़ी गई। इसकी वजह भारतीय सोया खली के खरीदार खासकर वियतनाम व ईरान द्वारा अर्जेंटीना, ब्राजील व अन्य देशों से खली खरीदने को तरजीह देना है क्योंकि भारतीय सोया खली उन्हें महंगी पड़ रही है। सोया खली की निर्यात मांग सुस्त पड़ने के कारण देश में सोयाबीन की पेराई में कमी आई है।