ब्राजील में सोयाबीन का रकबा पिछले साल से कम, अभी तक 83.3 प्रतिशत क्षेत्र में ही बिजाई

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परानागुआ। Soybean crop in brazil: लैटिन अमरीकी देश ब्राजील में सोयाबीन की बिजाई की गति इस बार धीमी चल रही है। पिछले सप्ताह वहां दूर-दूर तक बारिश हुई और दक्षिणी राज्यों में मूसलाधार वर्षा दर्ज की गई।

केवल पूर्वोत्तर क्षेत्र को छोड़कर देश के अन्य भागों में हुई इस वर्षा को सोयाबीन एवं मक्का की फसल के लिए लाभदायक माना जा रहा है। आगामी समय में भी कुछ क्षेत्रों में बारिश का दौर जारी रहने की संभावना है। लेकिन इसके बावजूद सोयाबीन की बिजाई अब तक काफी पीछे चल रही है।

मध्य सितम्बर से ही ब्राजील में सोयाबीन की बिजाई आरंभ हो गई थी और उम्मीद की जा रही थी कि दिसम्बर के प्रथम सप्ताह तक बिजाई की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। लेकिन कुल बिजाई 83 प्रतिशत तक ही पहुंच सकी।

दरअसल ब्राजील में बारिश बहुत देर से शुरू हुई और उससे पूर्व मौसम काफी शुष्क एवं गर्म बना हुआ था इसलिए किसान ज्यादा जोखिम नहीं उठा रहे थे। कुछ क्षेत्रों में खराब मौसम के कारण सोयाबीन के बीज में अंकुरण नहीं या नगण्य हुआ और वहां इसकी दोबारा बिजाई की आवश्यकता महसूस हुई।

सितम्बर में बिजाई की स्थिति अच्छी रही लेकिन अक्टूबर के पूरे महीने एवं नवम्बर के शुरूआती 15-20 दिनों तक मौसम काफी गर्म एवं सूखा रहा जिससे सोयाबीन की बिजाई होनी बाकी है। आदर्श समय के बीतने के बाद वहां बिजाई होगी जिससे फसल की औसत उपज दर कमजोर रहने की संभावना है।

पिछले सप्ताह के अंत तक ब्राजील में 83.3 प्रतिशत क्षेत्र में सोयाबीन की बिजाई पूरी हुई जबकि गत वर्ष की इसी अवधि में 93.4 प्रतिशत क्षेत्र में बिजाई पूरी हो चुकी थी। बिजाई का पंचवर्षीय औसत आंकड़ा 92.5 प्रतिशत था। ब्राजील दुनिया में सोयाबीन का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश हैं।

सरकारी एजेंसी- कोनाब सहित अन्य अनेक संघों- संगठनों ने 2023-24 के सीजन के दौरान ब्राजील में सोयाबीन का उत्पादन तेजी से बढ़कर सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया है लेकिन जिस तरह के हालात बन रहे हैं उससे प्रतीत होता है कि सोयाबीन का वास्तविक उत्पादन इस अनुमान से कम हो सकता है।

ब्राजील में सोयाबीन की बिजाई माटो ग्रोसो, माटो ग्रोसो डो सूल, पराना, साओ पाउलो तथा गोइआस जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में 95-96 प्रतिशत तक पूरी हो चुकी है। रियो ग्रैंड डो सूल एवं सांता कैटरिना जैसे दक्षिणी प्रांतों में तथा बहिया, मरांहाओं एवं टोकानटिंस राज्यों में बिजाई काफी पिछड़ रही है।