मानव के व्यक्तित्व विकास में पुस्तकों का योगदान: डॉ. दीपक श्रीवास्तव

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बहुखण्डीय ग्रंथों की प्रदर्शनी का आयोजन

कोटा। राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय में भारतीय भाषा उत्सव के रूप में “बहुखण्डीय ग्रंथों की पुस्तकों की प्रदर्शनी” का आयोजन किया गया। इस उत्सव का उद्घाटन राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला के सेवानिवृत निदेशक विनोद जैन ने किया।

समारोह में आमंत्रित गणमान्य व्यक्तियों ने सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से किताबों का महत्व बताया। इस मौके पर विनोद जैन ने कहा, “किताबें हमारी आसपास की दुनिया को समझने, सही और गलत के बीच निर्णय लेने में हमारी मदद करती हैं। वे आदर्श मार्गदर्शक या सर्वकालिक शिक्षक के रूप में भी हमारे जीवन में शामिल होती हैं।

संभागीय पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने भी इस अवसर पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “मानव के व्यक्तित्व के विकास के लिए अध्ययन से श्रेष्ठ विकल्प कोई नहीं है। इसलिए किताबें मानव की सबसे अच्छी दोस्त हैं, जो सदैव जीवन के उतार-चढ़ाव से परिचित कराती हैं। हर मुश्किल वक्त में एक दोस्त की भांति मनुष्य का साथ देती हैं।”

कार्यक्रम की संयोजिका शशि जैन ने कहा, “प्रौद्योगिकी को भी विद्युत शक्ति के उपयोग की आवश्यकता होती है, लेकिन किताबों के साथ ऐसा नहीं है। किताबों को सिर्फ खोलने और पढ़ने की आवश्यकता होती है।