- खोए, चोरी हो गए या बर्बाद हुए सामान या उपहार या मुफ्त सैंपल का रखना होगा विवरण
- कच्चे माल, तैयार वस्तुएं, कबाड़ और बर्बाद हुई सामग्रियों का भी रखना होगा रिकॉर्ड
- सेवा प्रदाताओं को भी सेवाओं में इस्तेमाल सामग्रियों का रखना होगा लेखाजोखा
- खाते में किसी भी प्रविष्टि को जोड़ने या हटाने का भी अलग से रखना होगा ब्योरा
नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने पर कंपनियों/इकाइयों को खोए, चोरी या बर्बाद हुए सामान या उपहार या मुफ्त नमूने के तौर पर दी गई वस्तुओं का भी पूरा रिकॉर्ड सहेज कर रखना होगा। 1 जुलाई से लागू होने वाले जीएसटी के इस प्रावधान का अनुपालन करना उद्योग के लिए परेशानी का सबब हो सकता है। बुधवार को सार्वजनिक किए गए जीएसटी के मसौदा नियमों के ‘लेखा एवं रिकॉर्ड’ प्रावधान उद्योग के कष्टकर हो सकते हैं, क्योंकि अगले दो माह में इसका पालन करना होगा।
इस नियम में कहा गया है, ‘प्रत्येक पंजीकृत व्यक्ति को अपने स्टॉक में प्रत्येक वस्तुओं का लेखाजोखा रखना होगा कि उसने कौन सी वस्तु प्राप्त की और उनकी ओर से किसकी आपूर्ति की गई। इसके साथ ही रसीद, आपूर्ति, चोरी, बर्बाद या गुम हुई वस्तुओं, उपहार या मुफ्त में दिए गए नमूनों तथा शेष स्टॉक आदि का भी विवरण रखना होगा। इसमें कच्चे माल, तैयार वस्तुएं, कबाड़ और बर्बाद हुई सामग्रियों का भी रिकॉर्ड शामिल है।’
नियमों में कहा गया है कि पंजीकृत व्यक्ति को बहीखाते में इसका क्रमानुसार उल्लेख करना होगा।हालांकि उत्पाद शुल्क को जीएसटी में शामिल कर लिया गया है, लेकिन पंजीकृत व्यक्ति को विनिर्मित वस्तुओं का मासिक उत्पादन खाता बनाने की जरूरत है। इसमें उन्हें कच्चे माल या विनिर्माण में इस्तेमाल सेवाओं और विनिर्मित वस्तुओं के साथ ही बेकार और अपशिष्टï का भी पूरा विवरण रखना होगा।
पीडब्ल्ययूसी में लीडर, प्रत्यक्ष कर प्रतीक जैन ने कहा, ‘उद्योग के लिए लेखा रिकॉर्ड तैयार करना काफी दूभर हो सकता है क्योंकि अब नए कराधान के लागू होने में केवल दो माह ही बचे हैं। यह उद्योग के लिए बड़ी चुनौती होगी। उत्पाद शुल्क व्यवस्था खत्म होकर जीएसटी आधारित प्रणाली लागू होने के बावजूद उन्हें उत्पादन का मासिक रिकॉर्ड रखने की जरूरत होगी।’
दिलचस्प है कि उत्पाद से संबंधित यह रिकॉर्ड सेवा प्रदाताओं पर भी लागू होगा और सेवा उद्योग को भी प्रत्येक सेवाओं में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं, सेवाओं की आपूर्ति का पूरा विवरण रखना होगा। इसके साथ ही कंपनियों/इकाइयों को विनिर्माण, ट्रेडिंग और सेवाओं के प्रावधान सहित सभी गतिविधियों के लिए अलग खाता रखना होगा। बड़ी कंपनियों के लिए यह प्रावधान चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
जैन ने कहा, ‘इसमें काफी ज्यादा समान व्यय होगा, ऐसे में यह अस्पष्ट है कि इन गतिविधियों के बीच आवंटन किस प्रकार से किया जाएगा।’ करदाताओं को प्रत्येक गतिविधियों के लिए आपूर्ति के बिल, चालान, क्रेडिट नोट, डेबिट नोट, रसीद वाउचर,, भुगतान वाउचर और ई-वे बिल के विवरण को भी अलग से रखना होगा। हालांकि सरकार ने खाते को किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में रखने की मंजूरी दी है।
नांगिया ऐंड कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर राकेश नांगिया ने कहा, ‘लेखा एवं रिकॉर्ड के नियम करदाताओं के लिए परेशानी का सबब हो सकते हैं क्योंकि खाते को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से रखा जाएगा, ऐसे में हर बार उसमें कुछ जोडऩे या उससे हटाने की जानकारी के बारे में एक अलग से रजिस्टर रखना होगा। जोड़ने या हटाने के विवरण वाला रजिस्टर उस समय परेशानी का कारण बन सकता है जब कर अधिकारी इसके बारे में विस्तार से जानकारी मांगेंगे।’