निर्यात मांग कमजोर पड़ने से ग्वार व ग्वार गम की कीमतों में गिरावट

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नयी दिल्ली। ग्वार व ग्वार गम की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। महीने भर में ग्वार के वायदा भाव 12 फीसदी और ग्वार गम के भाव 14 फीसदी टूट चुके हैं। इन दोनों के भाव घटने की वजह आवक बढ़ना है। साथ ही ग्वार गम की इस साल निर्यात मांग कमजोर पड़ने से भी इनके भाव घट रहे हैं। राजस्थान में ग्वार की नई फसल की कटाई शुरू होने लगी है। ऐसे में आगे भी ग्वार की कीमतों में सुस्ती जारी रह सकती है।

बीते महीनों में भाव बढ़ने की उम्मीद में कारोबारी और किसानों ने ग्वार की फसल को रोकने पर जोर दिया था। लेकिन अब नई फसल के समय इसकी आवक बढ़ा दी है। जिसका असर इसकी कीमतों पर गिरावट के रूप में देखने को मिल रहा है।

कमोडिटी एक्सपर्ट इंद्रजीत पॉल ने बताया कि सितंबर महीने मंडियों में ग्वार की आवक तेजी से बढ़ी है। जिससे ग्वार की कीमतों में गिरावट आई है। मंडियों में आवक के आंकड़े रखने वाली सरकारी एजेंसी एग्मार्क के अनुसार इस साल सितंबर महीने में 22,628 टन ग्वार की आवक हुई, जो पिछली समान अवधि में हुई आवक से दोगुनी से भी अधिक है।

एचडीएफसी सिक्योरिटी में कमोडिटी व करेंसी प्रमुख अनुज गुप्ता कहते हैं कि ज्यादा आपूर्ति होने के कारण ग्वार व ग्वार गम के भाव गिर रहे हैं। कमोडिटी एक्सचेंज नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) पर ग्वार अक्टूबर अनुबंध एक सितंबर को 6,425 रुपये के भाव पर बंद हुआ था, जो पिछले कारोबारी दिन को 5,649 रुपये के भाव पर बंद हुआ।

इसी तरह एक सितंबर को 13,315 रुपये के भाव पर बंद होने वाला ग्वार गम अक्टूबर अनुबंध पिछले कारोबारी दिन 29 सितंबर को गिरकर 11,410 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बंद हुआ था। आज गांधी जयंती के कारण कमोडिटी एक्सचेंज बंद था।

इस तरह पिछले महीने ग्वार के वायदा भाव 12 फीसदी और ग्वार गम के भाव 14 फीसदी घटे। पॉल कहते हैं कि आवक बढ़ने के साथ ग्वार गम की निर्यात मांग कमजोर पड़ने से भी इनकी कीमतों में गिरावट को सहारा मिल रहा है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई अवधि में 1.38 लाख टन ग्वार गम का निर्यात हुआ है, जो पिछली समान अवधि के 1.55 लाख टन निर्यात से करीब 11 फीसदी कम है।