भारतीय जनता पार्टी के ‘इकलौते आलाकमान’ प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने दो बार की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे को स्पष्ट संकेत दे दिए कि राजस्थान में अगले विधानसभा के चुनाव के आने वाले नतीजों में यदि भाजपा की सरकार बनती दिखती है तो वे मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी को पक्का नहीं समझे। ऐसे हालात में मुख्यमंत्री कोई भी हो सकता है लेकिन अभी चुनाव तो सिर्फ कमल के भरोसे ही लड़ा जाएगा।
-कृष्ण बलदेव हाडा –
Rajasthan Vidhan Sabha Chunav: भारतीय जनता पार्टी की आंतरिक राजनीति में अंतिम निर्णयात्मक शक्ति या कहें ‘इकलौते आलाकमान’ प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की मौजूदगी में ही यह स्पष्ट और अंतिम संकेत दे दिया कि इस साल के अंत में होने वाले राजस्थान विधानसभा के चुनाव में प्रदेश में कम से कम श्रीमती राजे तो भाजपा का मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरा नहीं होंगी।
उनके कहने का अर्थ तो एकदम सीधा था कि श्रीमती वसुंधरा राजे ही नहीं बल्कि प्रदेश की राजनीति में अपना दमखम दिखा रहा कोई और नेता भी आने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी का चेहरा बनने वाला नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चित्तौड़गढ़ जिले के धार्मिक स्थल सांवलिया जी में 7200 करोड रुपए की विभिन्न विकास योजनाओं का लोकार्पण-शिलान्यास करने के बाद आयोजित एक जनसभा में जिस मंच से अपनी बात को कह रहे थे,तब प्रदेश की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी श्रीमती वसुंधरा राजे एवं अन्य भाजपा नेता भी मौजूद थे।
सांवलिया जी की जनसभा में दिए अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा-“इस चुनाव में हमारा एक ही चेहरा है और वह चेहरा कमल है। हमारी उम्मीद कमल है।…. हमारा उम्मीदवार कमल है।….हम कमल खिलाएंगे।…. हम इस कमल के नेतृत्व में ही राजस्थान का भाग्य तेज गति से आगे बढ़ाएंगे।….भाजपा को जितायेंगे।….इसी लक्ष्य के साथ के साथ हम सब को एकजुट होकर ताकत के साथ बढ़ना है।”
उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पार्टी नेतृत्व की ओर से उन्हें राज्य में उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप तवज्जो नहीं दिए जाने से काफी खफा हैं और कई मौकों पर अपनी उपस्थिति या अनुपस्थिति के जरिए इस नाराजगी को प्रकट कर भी चुकी है।
तीन दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा के साथ जब जयपुर आए थे और विधानसभा चुनाव के संदर्भ में प्रदेश के पार्टी नेतृत्व के साथ लम्बी मंत्रणा की थी। तब भी कहा जा रहा है कि श्रीमती राजे ने अपनी नाराजगी प्रकट की थी और उसके बाद अमित शाह प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बारे में कोई फैसला किए बिना ही पार्टी अध्यक्ष के साथ वापस दिल्ली लौट गए।
इसको लेकर कई सारे कयास लगाए जा रहे थे लेकिन उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चित्तौड़गढ़ जिले के धार्मिक स्थल सांवलिया जी में आकर 7200 करोड़ रुपए की परियोजनाओं के लोकार्पण-शिलान्यास का कार्यक्रम बना जिसने श्रीमती वसुंधरा राजे भी आमंत्रित की गई थी, तो आशा की कुछ किरण थी।
लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीमती वसुंधरा राजे की मौजूदगी में ही यह स्पष्ट और अंतिम संकेत देकर साफ कर दिया कि विधानसभा चुनाव सिर्फ और सिर्फ कमल के निशान पर भी लड़ा जाएगा। किसी को व्यक्तिगत तौर पर चुनाव के नेतृत्व की जिम्मेदारी नहीं सौंपी जाएगी, जैसा कि बीते विधानसभा चुनावों में होता रहा है।
उल्लेखनीय है कि श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व में उदयपुर संभाग के ही राजसमंद जिले के चारभुजा मंदिर से 26 अप्रैल 2003 को पहली बार राजस्थान में परिवर्तन यात्रा निकाली गई थी जिसने पूरे राज्य में 13 हजार किलोमीटर से भी अधिक लंबा सफर तय किया था और उसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल की थी और श्रीमती वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री बनाया गया था।
हाडोती संभाग में भी तब भाजपा को भारी सफलता मिली थी और यहां से 18 विधानसभा सीटों में से 12 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी चुनाव जीते थे। परिवर्तन यात्रा इस बार भी निकाली गई है लेकिन बदले हुए नाम परिवर्तन संकल्प यात्रा के जरिए और इसकी कमान श्रीमती वसुंधरा राजे या मुख्यमंत्री पद की दावेदारी जता रहे अन्य नेताओं में से किसी और को सौंपने के बजाए दोयम दर्जे के कुछ नेताओं को अलग-अलग दिशाओं की ओर का नेतृत्व सौंपा गया था।
स्पष्ट है कि लगातार अपनी दावेदारी जता रहे केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत या विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया या डॉ. किरोडी लाल मीणा जैसे नेताओं को भी तवज्जो नहीं मिली।
अगले विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद यदि राज्य में सरकार बनाने की स्थिति बनी तो इनमें तो कोई एक नेता को मुख्यमंत्री का दारोमदार सौंपा जा सकता है, ऐसा कोई संकेत न तो तब दिया गया था और आज तो प्रधानमंत्री ने पूरी तस्वीर ही साफ़ कर दी कि चुनाव तो होगा-” सिर्फ कमल के भरोसे। “