नई दिल्ली । व्यापारियों की सुविधा के लिए जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) एक नई सुविधा शुरू करेगा। इसके तहत सभी कारोबारी अपने अगस्त और सितंबर के जीएसटीआर-3बी रिटर्न फॉर्म में 20 नवंबर से बदलाव कर सकेंगे।
शनिवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने यह जानकारी दी। वह जीएसटीएन की तकनीकी खामियों को दुरुस्त करने से जुड़े मंत्रिसमूह (जीओएम) के प्रमुख हैं। मोदी यहां इस जीओएम की चौथी बैठक में हिस्सा लेने आए थे।
उन्होंने इन्फोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणि से भी मुलाकात की। इस आइटी कंपनी के पास ही जीएसटीएन के विकास व रखरखाव का ठेका है।1सुशील मोदी के मुताबिक नीलेकणि ने उन्हें आश्वस्त किया है कि जीएसटीएन के कामकाज में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
इन्फोसिस ने इस प्रोजेक्ट में अपने 100 और इंजीनियर लगा दिए हैं। इस तरह वस्तु एवं सेवा कर के लिए आइटी ढांचा मुहैया कराने वाली कंपनी जीएसटीएन में काम कर रहे उसके इंजीनियरों की संख्या 621 हो गई है।
इसके अलावा इन्फोसिस ने देश भर में राज्यों के कमिश्नरेट व जीएसटीएन के बीच बेहतर तालमेल के लिए 30 रेजिडेंट इंजीनियर तैनात किए हैं।
मोदी की अगुआई वाले जीओएम ने नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के आइटी ढांचे को संभालने वाली कंपनी जीएसटीएन को करदाताओं के अनुकूल सुविधाएं तैयार करने कहा है। ये सुविधाएं स्वभाव से ही इंटरैक्टिव होनी चाहिए।
हर यूटिलिटी में पूर्वावलोकन, संपादन, सत्यापन, पॉप-अप, विशिष्ट त्रुटि संदेशों और प्रिंट करने का विकल्प होना चाहिए। इन्फोसिस के साथ मिलकर जीएसटीएन इन विकल्पों को विकसित करेगी।
वस्तु एवं सेवाकर प्रणाली में व्यापारियों की ओर से शुरुआती बिक्री रिटर्न को जीएसटीआर-3बी फॉर्म में दाखिल किया जाता है। हालांकि करदाताओं को जुलाई के जीएसटीआर-3बी में बदलाव की अनुमति थी, मगर आगे के महीनों के लिए यह सुविधा अभी तक उपलब्ध नहीं थी।
इसके उपलब्ध नहीं होने से दो लाख से ज्यादा रिटर्न फाइल करने वाले फंसे हुए थे। मोदी के मुताबिक 20 नवंबर तक व्यापारियों को अगस्त और सितंबर के लिए जीएसटीआर-3बी रिटर्न में संपादन करने की सुविधा सुलभ कराने का फैसला किया गया है।
गुवाहाटी में जीएसटी काउंसिल की पिछली बैठक के बाद टैक्स दरों से संबंधित करीब 80 फीसद मामलों का समाधान हो गया है। अब प्रक्रियाओं और तौर-तरीकों को सरल बनाने का काम बाकी रह गया है। इसे भी जीएसटीएन जल्द ही इन्फोसिस के सहयोग से अंजाम देने जा रही है।
जीएसटीएन दुरुस्त करने से जुड़े जीओएम के प्रमुख हैं मोदी
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तौर पर अक्टूबर में 95,131 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया गया है। इससे राज्यों की औसत राजस्व हानि घटकर 7,560 करोड़ रुपये यानी 17.6 फीसद पर आ गई है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इससे पहले सितंबर में राज्यों की राजस्व हानि का आंकड़ा 28.4 फीसद था।
उस महीने जीएसटी से 93,141 करोड़ रुपये का राजस्व आया था। सुशील के मुताबिक यह अच्छा संकेत है। इससे साफ पता चलता है कि यह अप्रत्यक्ष कर प्रणाली धीरे-धीरे स्थिर हो रही है। अगस्त में राज्यों को 12,208 करोड़ रुपये की राजस्व हानि हुई थी।
जटिल जीएसटी ई-कॉमर्स बनी स्टार्टअप के जी का जंजाल
ई-कॉमर्स स्टार्टअप के लिए ऑटो कंपोनेट की ऑनलाइन बिक्री के मामले में जटिल जीएसटी प्रक्रिया उनके जी का जंजाल बनी हुई है। ऐसे खिलाड़ियों पर इसकी मार इसलिए भी पड़ रही है, क्योंकि ई-कॉमर्स बिजनेस को कंपोजिट स्कीम से बाहर रखा गया है।
इसके अलावा ऑटो कंपोनेंट और उनके लॉजिस्टिक्स पर 28 फीसद की दर से जीएसटी ने भी मुश्किल खड़ी कर रखी है। ऑनलाइन मार्केटप्लेस बूडमो के सह-संस्थापक ओलेक्सांद्र डैनिलेंको ने अपने बयान में यह जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि हमारे नए उद्यम (सनराइज बिजनेस) को जीएसटी के जटिल ढांचे और दुरूह मॉडल ने बुरी तरह प्रभावित किया है। ई-कॉमर्स खास तौर पर इसका शिकार बना है।
जीएसटी के तहत 16 बिंदुओं वाली इनवॉयस मार्केटप्लेस की जरूरतों के हिसाब से कतई उपयुक्त नहीं है। इस तरह से तो बूडमो जैसे कारोबार न तो अपने उत्पादों की बिक्री कर सकते हैं और न ही खरीद कर सकते हैं, क्योंकि वे अपने सप्लायरों पर बहुत ज्यादा निर्भर होते हैं।