कोटा। Bhagwat Katha: शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ श्री बड़े मथुराधीश टेंपल बोर्ड की ओर से प्रथम पीठ युवराज गोस्वामी मिलन कुमार बावा के सान्निध्य में छप्पनभोग परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के दूसरे दिन श्री कपिल अवतार एवं ध्रुव चरित्र के प्रसंगों का वर्णन किया गया।
पुष्टिमार्गीय रीति से कथाव्यास तुलसीदास शास्त्री श्रीमद्गोकुल ने विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से भक्ति का महत्व समझाया। उन्होंने रविवार को भीष्म स्तुति, परिक्षित जन्म कथा, राजा परीक्षित को ऋषिपुत्र का शाप लगना, परीक्षित और शुकदेव जी का मिलन, शुकदेव- परीक्षित संवाद आरम्भ, श्रीशुकदेव जी द्वारा मंगलाचरण, भगवान के विराट स्वरूप और सूक्ष्म स्वरूप का वर्णन, भगवान की विभूतियों का वर्णन, श्रीमद्भागवत चतु:श्लोकी का उपदेश, विदुर उद्धव संवाद एवं विदुर मैत्रेय संवाद, सृष्टि क्रम का वर्णन, वाराह अवतार की कथा, देवहूति कर्दम विवाह, श्रीकपिल अवतार, भगवान कपिल एवं देवहूतिजी का संवाद, सांख्य योग का वर्णन, सती चरित्र की कथा प्रसंगों का वर्णन किया गया।
कथाव्यास तुलसीदास शास्त्री श्रीमद्गोकुल ने कहा कि श्री वल्लभाचार्य के मतानुसार घोर कलिकाल में ज्ञान, कर्म, भक्ति, आदि मोक्ष प्राप्ति के साधनों की न तो पात्रता रही है और न क्षमता ही है। इन साधनों के उपयुक्त देश, काल, द्रव्य, कर्ता, मंत्र और कर्म या तो नष्ट हो गये हैं या दूषित हो गये हैं।
अतः इन उपायों से मोक्षप्राप्ति या भगवान की प्राप्ति कर सकना संभव नहीं रह गया है। ऐसी विषम परिस्थिति में भी सबके उद्धार के लिए अवतरित होने वाले सर्वसमर्थ, परम कृपालु भगवान् श्रीकृष्ण ही अपने स्वरूप के बल से, प्रमेय बल से, अपने भगवत्- सामर्थ्य से जीवों का उद्धार कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जिनके पास भगवत्प्राप्ति के उपाय के रूप में कर्म, ज्ञान, भक्ति आदि कोई साधन नहीं है, ऐसे निसाधन भक्तों के लिए भगवत्-कृपा ही भगवत्प्राप्ति का एकमात्र साधन है। कथा व्यास ने कहा कि भक्ति के कईं प्रकार हैं। सकाम भक्ति, मर्यादा भक्ति, प्रेम रक्षा भक्ति यह भक्ति ठाकुरजी से संबंधित हैं।
पुष्टिमार्ग में इस भक्ति रस की कईं बातें दिखाई एवं सुनाई देती हैं। जब कोई व्यक्ति इस भक्ति के रस में डूब जाता है, तो उसके चेहरे पर इसका आभास दिखने लगता है। क्योंकि मनुष्य की चेहरा ही उसका असली और सबसे बड़ा दर्पण होता है। इसलिए लाख छिपाने का प्रयास करें, लेकिन ईश्वरीय भक्ति को ठाकुरजी की भक्ति के रस में डूबा व्यक्ति पहचान में आता है।
इस दौरान अष्टसखा द्वारा रचित कीर्तन हुए। कथा विश्रांति पर गोस्वामी मिलन बावा और गोस्वामी विनय बावा ने श्री भागवत स्वरुप की आरती की। प्रबंधक चेतन सेठ तथा मोनू व्यास ने बताया कि कथाव्यास द्वारा प्रतिदिन 3 से 6.30 बजे तक कथा सरिता बहाई जा रही है। सोमवार को श्रीनृसिंह अवतार की कथा का वर्णन होगा। इस दौरान शाम 5.30 बजे से भजन संध्या आयोजित होगी।