शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ बड़े मथुराधीश मंदिर पर श्रीगोपाल यज्ञ 5 को

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यज्ञ स्वयं नारायण है, यज्ञ ही सबका मूल है: प्रथम पीठ युवराज मिलन बावा

कोटा। शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ श्री बड़े मथुराधीश मंदिर पर समस्त पुष्टिमार्गीय प्रथमगृह की सृष्टि पर श्रीगोपाल यज्ञ किया जाएगा। प्रथम पीठ के युवराज मिलन कुमार बावा ने बताया कि पाटनपोल स्थित मंदिर पर 5 सितंबर को प्रातः 9 बजे से यज्ञ प्रारंभ होगा। जिसमें पुष्टिमार्ग वल्लभ संप्रदाय की परंपरा के अनुसार आहुतियां दी जाएंगी।

मिलन कुमार गोस्वामी ने कहा कि यज्ञ स्वयं नारायण है, यज्ञ ही सबका मूल है। ब्रह्म सदा यज्ञ में विराजमान हैं। पुष्टिमार्ग में प्रारंभ से ही यज्ञ की परंपरा है। इस यज्ञ परंपरा के अनुसार श्रीगोपाल यज्ञ को संपन्न कराया जा रहा है। भारतीय संस्कृति का मूल हमें वेदों में प्राप्त होता है और वैदिक काल में यज्ञ की प्रधानता स्पष्ट दिखाई देती है।

यज्ञीय विधि पर हुए अनेक अनुसंधानों से यह पता चला है कि यज्ञ सर्वजन सुखाय सर्वजन हिताय हैं, यज्ञ में दी गयी आहुतियों से एवं मन्त्रों के उच्चारण से वातावरण की शुद्धि निश्चित रूप से अनुभव की गई है। जहाँ जहाँ यज्ञ होता है वहाँ वहाँ एक सकारात्मक ऊर्जा का सञ्चार होता है, यह सकारात्मक ऊर्जा जीवमात्र को शान्ति प्रदान करती है।

मिलन बावा ने कहा कि हम वर्तमान में वैदिक विधियों पर जितना भी शोधकार्य करेंगे उतना ही हमें पता चलेगा कि हमारी प्राचीन भारतीय वैदिक पद्धति में कितनी वैज्ञानिकता थी। अतः सृष्टि के आरम्भ से ही यज्ञ की परंपरा थी उसे ऋषियों ने एवं महान पुरुषों ने आगे बढाया उसी परम्परा में श्रीमद्-वल्लभाचार्य के पूर्वजों ने अनेक यज्ञ किए।

उसी परम्परा को अनेक पुष्टिमार्गीय पूर्वाचार्यों ने एवं पुष्टिमार्ग की प्रथम पीठ के आचार्यों ने अक्षुण्ण रखा है। श्रीगोपाल यज्ञ का बहुत ही माहात्म्य है। यज्ञ के दर्शन कर भक्त प्रभु की कृपा का लाभ प्राप्त कर सकेंगे।