मोदी विरोधियों को सबक सिखाने को मिश्रा के लिए सृजित होगा नया पद

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अब चूंकि सर्वोच्च न्यायालय के दबाव के बाद यह तय हो गया है कि देश के प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख के रूप में संजय कुमार मिश्रा को 15 सितंबर तक ही पद पर रखा जा सकता है। इसलिए अब यह कोशिश की जा रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विपक्ष विरोधी ऎजेंडे को पुख्ता तौर पर साधने के लिए संजय मिश्रा को आसीन करने हेतु एक नया ही पद सृजित किया जा रहा है। इसे मुख्य जांच अधिकारी (सीआईओ) का नया नाम दिया जा सकता है और इसके पहले प्रमुख मिश्रा हो सकते हैं।

-कृष्ण बलदेव हाडा –
सकारात्मक सोच के साथ अच्छे बदलाव लाने की उम्मीद में जो लोग व्यक्तिगत, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक स्तर पर निरंतर और सतत प्रयास करते हैं, ऎसे लोगों से यह अकसर कहा जाता है कि “लगे रहो। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।” दुर्भाग्य से यह विचार केवल सकारात्मक सोच रखने वाले लोगों पर ही लागू नहीं होता बल्कि उन लोगों पर भी लागू हो जाता है जो नकारात्मक सोच के साथ और दूसरों को नुकसान पहुंचाने की नीयत से काम करते हैं।

केंद्र में आसीन नरेंद्र दामोदर दास मोदी सरकार भी ऎसी नकारात्मक सोच के साथ अपने राजनीतिक स्वार्थों की सिद्धि के लिए प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के प्रमुख संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने में लगी रही थी।

उनकी पिछली कोशिश को उस समय विराम लग गया, जब नियम विरुद्ध मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने की कोशिश की गई, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अड़ंगा लगा दिया तो केंद्र सरकार को यह अनुरोध करना पड़ा कि मिश्रा को हटाया नहीं जाए और उन्हें 15 सितंबर तक के लिए काम करने का अवसर दिया जाए ताकि नये ईडी प्रमुख की नियुक्ति की जा सके।

अब यह तय है कि 15 सितंबर के बाद संजय कुमार मिश्रा को पद छोड़ना ही पड़ेगा। लेकिन नरेंद्र मोदी को अपने खिलाफ़ उठने वाली आवाज के दमन के लिए संजय मिश्रा को अब केंद्र सरकारयेन-केन-प्रकारेण पद पर बनाए रखने के लिए नया पद तक सृजित करने के लिए तैयार हो गई है।

इस नए पद का नाम भारत के मुख्य जांच अधिकारी (सीआईओ) होगा और इस पद के पहले मुखिया संजय कुमार मिश्रा ही होंगे, जो इस पद पर रहते हुए नरेंद्र मोदी के एजेंडे को आगे बढ़ाएंगे। उनका एजेंडा एक ही है कि मोदी सरकार का विरोध कर रहे राजनीतिक दलों में शामिल लोगों पर दबाव बनाकर या तो उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाए या फिर जेल की सलाखों के पीछे का रास्ता दिखा दिया जाए।

इस साल के अंत तक देश के जिन चार राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, उन्हें छत्तीसगढ़ और राजस्थान भी शामिल है इनमें से प्रधानमंत्री कार्यालय की अभी मुख्य नजर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर है जो कुछ महीने पहले प्रदेश की कांग्रेस सरकार को कमजोर करने के लिए भाजपा की ओर से दिए गए प्रलोभन को ठुकरा अभी तक न केवल कांग्रेस में बने हुए हैं बल्कि इस बार भी पार्टी को मजबूती के साथ विधानसभा चुनाव में जीत दिलाने के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रहे हैं।

भूपेश बघेल को सबक सिखाने की दृष्टि से यह आवश्यक है कि संजय मिश्रा को भारत का नया मुख्य जांच अधिकारी बनाकर भूपेश बघेल पर नकेल कसी जा सके। इसके लिए सभी तैयारियां अंतिम चरण में हैं और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पहले ही अपनी सक्रियता दिखा चुका है जिसके तहत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दो विशेषाधिकारियों सहित एक राजनीतिक सलाहकार के आवासों पर छापे मारे जा चुका हैं।

गनीमत यह रही है कि अभी उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है, लेकिन कोशिश यह है कि अब इन अधिकारियों की किसी कमी के बहाने येन-केन-प्रकारेण किसी आर्थिक मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को उलझा कर उनकी गिरफ्तारी का मार्ग प्रशस्त किया जाए। ऐसी कार्यवाही को अंजाम तक पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को वर्ष 1984 के भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी संजय कुमार मिश्रा जैसे विश्वस्त व्यक्ति की आवश्यकता है।