-कृष्ण बलदेव हाडा-
Cheetahs Death: देश में कुछ दशकों पहले चीतों के लुप्त होने के बाद बीते दशक में जब भारत में फिर से चीतों को आबाद करने की दृष्टि से प्रयास किए जाने शुरू किए तो बात दक्षिणी अफ्रीका और नामीबिया से चीते लाकर बसाने पर ठहर गई लेकिन बाद में चीतों को बसाने की दृष्टि से उपर्युक्त पाए गए स्थानों को लेकर राजनीति होने के कारण चीतों को बसाया भी राजनीतिक आधार पर ही गया।
नतीजा यह निकला कि अब अफ्रीकी देशों से लाए गए चीते लगातार मर रहे हैं और केंद्र सरकार तमाम चीता विशेषज्ञों और उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) की चिंता के बावजूद चुप बनी हुई है। जबकि बीते साल चीते बसाने का श्रेय लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी नेशनल मीडिया को लेकर खुद अपने जन्मदिन के दिन के मौके पर कूनो अभयारण्य पहुंच गए थे। राजनीतिक स्तर पर की गई इस नौटंकी का यह संवाददाता भी मूकदर्शक रहा और नेशनल मीडिया ने चाहे-अनचाहे पूरे देश को चीख-चीखकर दिखाया है।
चीता विशेषज्ञों ने तो कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) से चीतों को कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (Mukundra Hills Tiger Reserve) में स्थानांतरित करने को हरी झंडी दे दी है, लेकिन राजनीतिक कारणों से चीता विशेषज्ञों की राय के अनुकूल कोटा जिले के दरा अभयारण्य में स्थानांतरण होना अभी भी मुश्किल प्रतीत हो रहा है। हालांकि कूनो अभयारण्य में चीतों की मौत का सिलसिला अभी तक जारी है।
अब तक वहां नौ चीतों की मौत हो चुकी है, जबकि नामीबिया और दक्षिणी अफ्रीका से चीते लाकर मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में कोटा संभाग की सीमा से सटे कूनो अभयारण्य क्षेत्र में छोड़े गए चीतों को वहां रहते अभी एक साल का भी समय पूरा नहीं हुआ है।
जुलाई महीने के दूसरे पखवाड़े में जब श्योपुर जिले के इस कूनो अभयारण्य में आठवें चीते की मौत हुई थी, तब उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में स्वत: प्रसंज्ञान लेकर हो रही चीतों की मौतों पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। इस बात का स्पष्ट रूप से इंगित किया था कि यदि कूनो में चीते मर रहे हैं तो उन्हें राजस्थान में स्थानांतरित क्यों नहीं किया जाता।
इस बारे में उच्चतम न्यायालय ने इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा था। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से क्या रिपोर्ट पेश की गई?, यह तो पता नहीं चल पाया लेकिन चीतों की मौत पर उच्चतम न्यायालय की चिंता को समझा जा सकता है।
अब तो उच्चतम न्यायालय ने ही नहीं बल्कि चीता विशेषज्ञ तक विधिवत रूप से इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि कूनो अभयारण्य क्षेत्र दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए चीतों को रास नहीं आ रहा है। इसलिए उन्हें राजस्थान में कोटा जिले की मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
यहां स्पष्ट रूप में बता दे कि जिस समय भारत में लुप्त हो चुके चीतों को फिर से आबाद करने के मसले पर प्रयास शुरू हुए थे, तब दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से आये विशेषज्ञों ने देश के विभिन्न अभयारण्य क्षेत्रों का चीते बसाने की दृष्टि से अवलोकन किया था और जिन अभयारण्य क्षेत्रों को चीते बसाने की दृष्टि से सर्वाधिक उपर्युक्त पाया था, उनमें कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व का दरा अभयारण्य क्षेत्र का एनक्लोजर शामिल है।
हालांकि विशेषज्ञों ने कूनो को भी चीते बसाने की दृष्टि से उपर्युक्त माना था, लेकिन अब जबकि वहां लगातार चीतों की मौत रही है तो ऎसे में चीतों की मौतों का यह दुखद सिलसिला जारी रहने से बेहतर यह होगा कि चीतों को कूनो से कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया जाए जो सर्वाधिक बेहतर विकल्प है। उच्चतम न्यायालय भी ऐसी ही मंशा व्यक्त कर चुका है।
उल्लेखनीय है कि अफ्रीकी देशों से 20 चीते लाए गए थे और लाए जाने के बाद चार शावकों का जन्म कूनो में हुआ था जिनमें से तीन की मौत हो चुकी है जबकि अब तक कुल नौ चीते काल के गाल में समा चुके हैं।
दक्षिणी अफ्रीका से आई चीता विशेषज्ञ और चीता कंजर्वेशन फाउंडेशन की संस्थापक डॉ लोरी मारकर ने भी उच्चतम न्यायालय को पत्र भेजकर कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इस बात की सिफारिश की है कि चीतों को राजस्थान में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उनका यह भी कहना है कि कूनो नेशनल पार्क में चीतों को आबाद करने से पहले प्रे-बेस बसाने पर चीतों की जरूरत के मुताबिक ध्यान नहीं दिया गया।
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के दरा अभयारण्य वाले क्षेत्र में चीतों को आबाद करने और कूनो अभयारण्य में चीतों की लगातार हो रही मौतों के मसले को केन्द्र एवं राज्य सरकार के समक्ष लगातार तत्परता से उठा रहे कोटा जिले की सांगोद विधानसभा क्षेत्र से वरिष्ठ कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने एक बार फिर केंद्र सरकार से दरा अभयारण्य क्षेत्र वाले एनक्लोजर में बसाने का अनुरोध किया है।
श्री सिंह ने कूनो में चीतों की मौत के बावजूद मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में शेष बचे चीतों को बसाने के मसले पर कोटा ही नहीं बल्कि राजस्थान के राजनीतिक नेतृत्व की संवेदनहीनता पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि इस मसले को शीघ्र से शीघ्रतम निस्तारित किया जाना चाहिए।
श्री सिंह ने कहा कि राजनीतिक दलों और केंद्र सरकार को भी चीता विशेषज्ञों एवं उच्चतम न्यायालय की चिंता को समझना चाहिए और राजनीतिक चश्मे से देखते हुए पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने की जगह सारगर्भित विराट परिपेक्ष में राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में लाकर चीते छोड़े जाने चाहिए। क्योंकि यहां की आबोहवा को चीता विशेषज्ञों ने भी प्रयुक्त पाया है।