कोटा। नशा मुक्ति के प्रेरक एवं राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ. आरसी साहनी ने कहा कि नशा और अपराध एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने बाल संप्रेषण गृह नयागांव के बालकों के बीच विश्व तंबाकू निषेध पखवाड़े के तहत जागरूकता कार्यक्रम में कहा कि कुसंगति के कारण बालक नशे की लत में फंस जाते हैं।
पहले 10 वर्षों में किसी भी बालक-बालिका में ज्ञान गुण का प्रत्यारोप करने का सही समय होता है। प्रतिदिन 27 सौ से अधिक लोग केवल तंबाकू जनित बीमारियों के कारण मारे जाते हैं। बच्चों में जब इसकी लत लग जाती है, तो परिवार सहित पूरे समाज में अपराध बढ़ जाते हैं। उन्होंने बच्चों को जीवन में कभी शराब, तंबाकू एवं गुटखा आदि का नशा न करने की शपथ भी दिलाई।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश पीके वर्मा में बाल संप्रेषण गृह को सही मायने में सुधार गृह बताते हुए बाल अपचारियों को नशे से दूर रहने की सलाह दी। इस मौके पर प्राधिकरण के डॉ. अमित शर्मा ने बच्चों में आत्मविश्वास को पहचानने एवं नशा नहीं करने की सलाह देते हुए बताया कि कई लोग नशा छोड़ने के बाद श्रेष्ठ कार्यों में अपना नाम ऊंचा कर पाए।
पर्यावरणविद बृजेश विजयवर्गीय ने किशोर- किशोरी वर्ग आयु के बच्चों में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति का अपराध से सीधा संबंध बताया। उन्होंने कहा कि केवल सरकार के भरोसे प्रतिबंध की पालना नहीं हो सकती। हर व्यक्ति को जागरूक होकर इसके विरुद्ध काम करना होगा। बाल संप्रेषण गृह के अधीक्षक अंकित जैन ने अत्यंत आवश्यक विषय पर बालकों के मध्य सुंदर तरीके से नशे की आदत से बचने के लिए डॉक्टर संदेश को अमल में लाने का आह्वान किया।
संवेदना सेवा समिति एवं रिसर्च फाउंडेशन की चीफ काउंसलर अंकिता अग्रवाल ने बताया कि बुधवार को नशा मुक्ति पखवाड़े का समापन वेस्टर्न रेलवे के सभागार में समारोह पूर्वक किया जाएगा।