-कृष्ण बलदेव हाडा-
Student Suicide Case: देश में कोचिंग सिटी के रूप में अपनी अलग पहचान बनाने वाले राजस्थान के कोटा में कोचिंग करने आने वाले छात्रों में आत्महत्या की प्रवृत्ति एक बार फिर से अपने चरम पर है। कोटा में शुक्रवार को एक और कोचिंग छात्र ने फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।
पिछले पांच दिनों में कोटा में कोचिंग छात्र के आत्महत्या करने की यह तीसरी वारदात है जबकि पिछले पांच महीने में कोटा में नौ कोचिंग छात्र आत्महत्या कर चुके हैं जबकि पांच सालों में 63 कोचिंग छात्र-छात्राओं ने विभिन्न कारणों के चलते अपनी जान दी है। ऐसा पिछले छह महीने में दूसरी बार हुआ है जब एक ही समय में इतनी अधिक संख्या में कोटा में रह रहे कोचिंग छात्रों ने अपने प्राण गवाएं हैं।
इसके पहले बीते साल 13 दिसंबर को कोटा के एक ही निजी कोचिंग संस्थान एलन के तीन छात्रों ने एक ही दिन 13 दिसंबर को फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इनमें से दो छात्र तो एक ही राज्य बिहार के रहने वाले थे और जवाहर नगर के एक ही हॉस्टल के अगल-बगल के दो अलग-अलग कमरों में रहते थे। उसके बाद यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण दूसरा मौका है जब पांच दिन में तीन छात्रों ने आत्महत्या कर अपनी जान का गवाई है।
कोटा की कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र के लैंड मार्क सिटी इलाके में एक निजी हॉस्टल में रहकर नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट ) की पिछले एक साल से तैयारी कर रहे हैं बिहार के पटना निवासी एक कोचिंग छात्र नवलेश (17) ने आज सुबह हॉस्टल के अपने कमरे में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर दी। पुलिस सूत्रों ने बताया कि कोचिंग छात्र के पास के कमरे से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है जिसमें उसने कहा है कि कोचिंग के तनाव को सहन नहीं कर पाने की वजह से वह अपनी जान दे रहा है।
हालांकि इस बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी है। पुलिस ने मृतक छात्र के पटना में रहने वाले अभिभावकों को इस हादसे के बारे में सूचना दे दी है और मृतक छात्र के शव को कोटा के एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया है जहां परिवार जनों के आने के बाद में शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा। कोटा में पिछले पांच दिनों में कोचिंग कर रहे किसी छात्र के आत्महत्या करने की यह तीसरी घटना है।
इसके पहले गुरुवार सुबह भी लैंडमार्क सिटी में ही एक निजी छात्रावास में रहने वाले उत्तर प्रदेश के एक छात्र धनेश कुमार (15) ने फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी लेकिन इस छात्र के पास से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं होने के कारण आत्महत्या के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया था।
इसके पहले सोमवार को कोटा के विज्ञान नगर इलाके की एक बहुमंजिला इमारत में रहकर अपने तीन अन्य दोस्तों के साथ कोचिंग कर रहे कर्नाटक के बंगलुरु निवासी एक कोचिंग छात्र नासिर (22) ने 10 मंजिल इमारत के ऊपर से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। हालांकि उसकी आत्महत्या करने के कारणों का अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है वैसे पिछले पांच महीनों में कोटा में आत्महत्या करने या किसी कोचिंग छात्र के आत्महत्या का प्रयास करने की यह नवीं वारदात है।
कोटा में शुक्रवार को कोचिंग छात्र नवलेश (17) के आत्महत्या करने के बाद बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष कनीज फातिमा और समिति के सदस्य अरुण भार्गव एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी पर पहुंचे। दोनों ने कोटा में कोचिंग छात्रों में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति पर गहरा अफसोस प्रकट किया और इस बात पर भी गुस्सा जाहिर किया कि जिस हॉस्टल में रहकर यह कोचिंग छात्र कोचिंग ले रहा था, उसका कोई प्रतिनिधि अस्पताल तक नहीं पहुंचा।
यह दुर्भाग्य है। और वे इस बारे में पुलिस को शिकायत करेंगे। बाल कल्याण समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि कोटा में कोचिंग करने वाले आने वाले छात्रों की काउंसलिंग की जाना जरूरी है, लेकिन साथ ही उनके माता-पिता की थी काउंसलिंग की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति पर रोक लगाने के हर संभव मनोवैज्ञानिक उपाय किए जाने चाहिए।
कोचिंग संस्थानों को बंद करे सरकार
इस बीच कोटा में कोचिंग छात्रों की लगातार तीसरी आत्महत्या से विचलित राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग संघ के अध्यक्ष दिनेश यादव ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर कहा कि कोटा वासियों की आत्मा अब मासूमों की आत्महत्याओं का बोझ नहीं उठा सकेगी। 8 मई को नासिर, कल 10 मई को धनेश कुमार व आज नवलेश कुमार की आत्महत्याओं को साधारणतया नहीं लिया जाना चाहिए, सरकार ठोस कदम उठाये अथवा कोचिंग संस्थानों को बंद करें।
पांच महिनों में की नौ छात्रों ने आत्महत्या
श्री यादव ने आज कहा कि कोटा में गत पांच महिनों में नौ छात्र आत्महत्या कर चुके है जबकि विगत पांच सालों में कोचिंग सेंटर के लगभग 63 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की हे जो सरकार, कोचिंग संस्थानों व समाज के लिए चिंता का विषय है।
आत्महत्याओं की फैक्ट्री बनी कोटा कोचिंग
कोटा कोचिंग छात्रों की आत्महत्याओं की फैक्ट्री बन गया है। कोचिंग संस्थानों के जादुई विज्ञापन व अभिभावकों की बच्चे से उच्च महत्वाकांक्षा के कारण नाबालिग विद्यार्थी कोचिंग सेंटर में होने वाले टेस्ट में छात्रों के पिछड़ जाने के कारण अवसाद में चले जाते है।
सरकार सख्त कानून बनाये
श्री यादव ने कहा कि कोटा सहित प्रदेश भर में संचालित कोचिंग सेंटरों में अध्ययनरत विद्यार्थी को मानसिक संबल और सुरक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी से कोचिंग संस्थान बच नहीं सकते साथ ही यह सरकार का दायित्व है कि सख्त कानून बनाये। कोचिंग संस्थाओं पर नियंत्रण के लिए राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल एंड रेगुलेशन बिल 2023 लाया जाना था किन्तु वह ठंडे बस्ते में चला गया, सरकार को चाहिए कि शीघ्र इस विषय को गंभीरता से ले।