नृसिंह भगवान प्राकट्य महोत्सव शुरू; पताका फहराई, मोरपंख से किया श्रृंगार

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प्राचीन नरसिंह मन्दिर में भजन कीर्तन कर खूब नाचे महिला-पुरुष

कोटा। भगवान नृसिंह प्राकट्य महोत्सव के तहत बुधवार को किशोरपुरा दरवाजा स्थित प्राचीन भगवान नृसिंह मंदिर पर रामायण पाठ और महिलाओं द्वारा भजन कीर्तन किए गए। इस दौरान मंदिर पर पताका फहराई और प्रतिमा का मोरपंख से श्रृंगार किया गया।

पुजारी मयंक शर्मा ने बताया कि भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह भगवान की पूजा करने से भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नरसिंह जयंती मनाई जाती है।

इस दिन भगवान नरसिंह ने अपने भक्त प्रहलाद के कष्ट हरने के लिए अवतार धारण किया था। भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध कर सृष्टि को उसके पापों से मुक्त भी किया था। हिंदू मान्यताओं के अनुसार नरसिंह जयंती की पूजा का विशेष महत्व है। शुद्ध भाव से भगवान नरसिंह की आराधना और व्रत करने से भगवान अपने भक्त के सभी कष्ट को हर लेते हैं।

उन्होंने बताया कि गुरुवार को सुबह 7 बजे भगवान का पन्चामृत से महाअभिषेक, 8 बजे से श्रृंगार, फूल बंगला के दर्शन होंगे। इस दौरान भगवान के नृसिंह स्वरुप के मुखोटे के दर्शन होंगे। पुजारी के अनुसार, मुखौटे के दर्शन वर्ष में एक बार ही होते हैं।

इस अवसर पर दोपहर 12 बजे आरती तथा सांय 7 बजे 101 बत्ती से महाआरती और प्रसाद वितरण होगा। इसमें मुख्य अतिथि कांग्रेस नेता राखी गौतम, समाज सेवी संजय गोयल, अनूप ठाकुर होंगे। नृसिंह जयंती की तैयारियों में चन्द्र कँवर शर्मा, सन्तोष शर्मा, गरिमा शर्मा, खुशबू शर्मा, विशाल शर्मा, उत्सव मिश्रा, सीताराम जुटे हुए थे।

हिरण्यकश्यपु के पुतले का वध किया जाएगा
अग्रवाल वैष्णव मोमीयां पंचायत द्वारा भगवान श्री नृसिंह प्राकट्य दिवस पर गुरुवार को गाँधी चौक में भगवान नृसिंह के सजीव स्वरूप द्वारा हिरण्यकश्यपु के 25 फ़ीट के पुतले का वध किया जाएगा। संस्था के प्रवक्ता संजय गोयल ने बताया कि समारोह के दौरान सांयकाल सूर्यास्त होते ही ठीक 6.45 बजे नृसिंह भगवान का प्राकट्य होगा। उसके बाद हिरण्यकश्यपु का वध किया जाएगा। इस अवसर पर मुख्य अतिथि स्वायत्त शासन मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष पंकज मेहता यथा समाजसेवी अमित धारीवाल होंगे।

विशेष योग में मनेगा महोत्सव
भगवान श्री नृसिंह जयंती महोत्सव रवि योग में मनाया जाएगा। इस शुभ योग के साथ प्रदोष होने के कारण श्रद्धालुओं को शिवजी की कृपा प्राप्ति के साथ-साथ भगवान नृसिंह की कृपा प्राप्ति से शक्ति एवं पराक्रम में वृद्धि होगी। इसके साथ ही भगवान नृसिंह अपने भक्तों पर भक्त प्रहलाद की तरह प्रसन्न होकर उनके संकटों का निवारण करेंगे। भगवान ने खंभे को फाड़कर भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए अवतार लिया था। भगवान नृसिंह शक्ति तथा पराक्रम के प्रमुख देवता हैं। कहीं-कहीं ऐसा भी पाया जाता है कि महापराक्रमी राजाओं ने नृसिंह भगवान की मूर्ति को ही अपना राज्य चिह्न बनाया था। इस वर्ष नृसिंह जयंती रवि योग में होने के कारण भगवान नृसिंह की पूजा- अर्चना एवं जप का शुभ फल सहज ही प्राप्त होगा।