1008 कलशों से सुमेरु पर्वत के शिखर पर किया बाल तीर्थंकर का अभिषेक

0
162

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव: भगवान को पालना झुलाने के लिए उमड़े लोग

कोटा। Panchkalyanak Pratishtha Mahotsav: श्री 1008 महावीर दिगंबर जिनबिम्ब लघु पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को जन्म कल्याणक विधान किया गया।

महोत्सव संयोजक महावीर पटवारी ने बताया कि 1008 कलशों से सुमेरु पर्वत के शिखर पर बाल तीर्थंकर का अभिषेक किया गया। जन्म कल्याणक महोत्सव पर बाल तीर्थंकर को पालकी में विराजमान कर शोभायात्रा निकाली गई।

इस दौरान महिलाएं कलश लेकर मंगल गान गाती हुई चल रही थी तो पुरुष धर्म ध्वजा लेकर चल रहे थे। बैंड पर संगीतमय धुन बज रही थी। इस अवसर पर महिलाएं केसरिया तथा पुरुष श्वेत वस्त्र धारण कर चल रहे थे।

शोभा यात्रा कुंडलपुर पांडाल पहुंचने पर पांडुक शिला पर भगवान का अभिषेक और शांतिधारा की गई। इसके बाद विभिन्न क्रियाओं के तहत गर्भ कल्याणक पूजन, गुरुदेव प्रवचन, इंद्रसभा, राज्यसभा, जन्मकल्याणक दृश्य, जन्म कल्याणक शोभायात्रा, जन्म अभिषेक एवं जन्म कल्याणक पूजन, शोभायात्रा, तांडव नृत्य, प्रवचन, जिनेंद्र भक्ति, पालना झूलन एवं राजाओं द्वारा भेंट आदि कार्यक्रम संपन्न हुए।

इस दौरान भक्ति नृत्य, नृत्य नाटिका और सजीव लीलाओं के माध्यम से तीर्थंकर के जन्म की कथा का वर्णन किया गया। इस दौरान इंद्र दरबार सजाया गया। जहां अष्ट देवियों का नृत्य हुआ। वहीं अवधि ज्ञान प्राप्त हुआ। सजीव लोगों के माध्यम से भगवान महावीर के जन्म का दृश्य प्रस्तुत किया गया तो चारों ओर खुशियां छा गई। ऐरावत हाथी पर सवार होकर सौधर्म इंद्र ने तांडव नृत्य किया और रत्न वृष्टि की गई।

शाम को मैनपुरी से मंगाए गए 60 फीट चौड़े पालने में भगवान को झुलाया गया। जिसे झूला देने के लिए हर कोई उमड़ पड़ा। प्रथम पालना झूला देने का सौभाग्य महेंद्र, अनिमेष, अभिषेक भिंडी वालों को मिला। प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रह्मचारी अभिनंदन खानियाधाना ने संपन्न कराए। वस्त्र भूषण की क्रिया सौधर्म इंद्र, कुबेर इंद्र तथा ईशान इंद्र द्वारा कराई गई। कुबेर इंद्र चिराग हरसौरा तथा सौधर्म इंद्र भानु हरसोरा बने थे

इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी महोत्सव में पहुंचे। उन्हें पिच्छी कमंडल और ओम का चिन्ह भेंट किया गया। इस अवसर पर स्पीकर ओम बिरला ने महावीर स्वामी की शिक्षाओं पर चलने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि महावीर स्वामी की शिक्षाएं आज सैंकड़ों वर्षों बाद भी प्रासंगिक हैं। उनकी शिक्षाओं पर चलते हुए जैन समाज शांति और सेवा भावना को प्रोत्साहित कर रहा है। भगवान महावीर के विचारों को आत्मसात करना सम्पूर्ण विश्व के लिए कल्याणकारी है।

इस अवसर पर राकेश जैन मढिया, अरुण मेहता, अरविंद जैन, अंकुर जैन, उमेश अजमेरा, कमल बोहरा, विमल नांता, क्रांति जैन आदि उपस्थित थे।