नई दिल्ली। Mann Ki Baat: पीएम मोदी ने रविवार को मन की बात के 100वें एपिसोड में देशवासियों को संबोधित किया। इस एपिसोड की सबसे खास बात यह रही कि इसका यूएन के हेडक्वार्टर में भी लाइव प्रसारण किया गया।
यूनेस्को चीफ ऑद्रे अजोले ने भी मन की बात का लाइव प्रसारण सुना और देखा। उनके संदेश को कार्यक्रम में प्रसारित भी किया गया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने पुराने संस्मरणों को तो याद किया ही, उन चार लोगों से बातचीत की, जिनकी कहानियां देश-दुनिया के लिए प्रेरक हैं। उनके बारे में जानते हैं।
पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के 100वें एपिसोड में संबोधन की शुरुआत में कहा कि उनके लिए यह कार्यक्रम बेहद खास है। कई बार वो कार्यक्रम के दौरान भावुक भी हुए, जिस वजह से रिकॉर्डिंग दोबारा करानी पड़ी। उन्होंने बताया कि जब वो सीएम थे तो जनता से मिलते थे लेकिन, 2014 में दिल्ली आने के बाद सुरक्षा के ताम-झाम और दायित्वों की वजह से ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया। लेकिन, मन की बात कार्यक्रम से एक बार फिर मुझे जनता के साथ बात करने और सुख-दुख बांटने का सौभाग्य मिला।
100वें एपिसोड में हाइलाइट हुई 4 प्रेरक कहानियां-
विजयशांति देवी: मणिपुर की विजयशांति देवी कमल के रेशों से कपड़े बनाती हैं। उनके अनूठे और पर्यावरण के अनुकूल विचार पर पहले ‘मन की बात’ में चर्चा की गई थी। विजयशांति के लिए लगभग 30 महिलाएँ काम करती हैं और उनका लक्ष्य इस वर्ष 70 और महिलाओं को रोजगार देना है। उनका कहना है कि वह जल्द ही अपने उत्पादों का निर्यात शुरू करेंगी।
सुनील जागलान: ‘सेल्फी विद डॉटर’ अभियान के पीछे सुनील जागलान हैं। पीएम मोदी ने अपने कार्यक्रम में इसका जिक्र भी किया। बताया कि कैसे यह मुहिम दुनिया के लिए मंत्र बन गई। जगलान ने जून 2015 में अपने गांव से इस अभियान को शुरू किया था। बाद में उन्होंने इस पहल के लिए एक वेबसाइट बनाई जहां लोग अपनी बेटियों के साथ सेल्फी साझा कर सकते हैं।
प्रदीप सांगवान: प्रदीप सांगवान ‘हीलिंग हिमालय’ कैंपेन चलाते हैं। सांगवान की टीम हिमालयी क्षेत्र को स्वच्छ रखने के लिए विभिन्न स्थानों से प्रतिदिन पांच टन कचरा एकत्र करती है। उनका अभियान ग्रामीण हिमालयी क्षेत्र में सफाई अभियान, अपशिष्ट प्रबंधन और अन्य गतिविधियों पर केंद्रित है। उनकी इस मुहिम पर कई पर्वतारोही भी मदद के लिए आगे आए हैं।
मंज़ूर अहमद: मंज़ूर अहमद की जम्मू और कश्मीर के एक गांव में पेंसिल बनाने की एक इकाई है, जो 200 से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करती है। पुलवामा जिले के ओखू गांव को अब “भारत के पेंसिल गांव” के रूप में जाना जाता है। प्रधान मंत्री मोदी ने 100वें एपिसोड में इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे गाँव “पेंसिल बनाकर भारत के लोगों को शिक्षित करने” में मदद कर रहा है।