जयपुर। राजस्थान में 24 अप्रैल से लगने वाला महंगाई राहत शिविर खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। क्योंकि शिविर से जुड़े चार हजार सूचना सहायक और दो हजार सहायक प्रोग्रामरों ने 24 अप्रैल से सामूहिक अवकाश पर जाने की घोषणा कर रखी है। जबकि सरकार की मंशा इस कैंप को किसी भी तरह से सफल बनाने की है। वहीं, दूसरी तरफ इससे जुड़े कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं।
दरअसल वेतन विसंगति, पदोन्नति और अन्य मांग को लेकर 12 हजार पटवारी, चार हजार गिरदावर, एक हजार नायब तहसीलदार और करीब छह सौ तहसीलदार 20 और 21 अप्रैल को अवकाश पर रहकर तहसील व जिला मुख्यालय पर धरना दिया। साथ ही सोमवार को कार्य बहिष्कार की चेतावनी दे रखी है।
तहसीलदार सेवा परिषद् अध्यक्ष विमलेन्द्र राणावात ने कहा कि लिखित में मांग नहीं माने जाने तक कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष राज सिंह चौधरी का कहना है कि सरकार ने द्विपक्षीय वार्ता के बाद भी प्रमुख मांगों के आदेश जारी नहीं किए। जब तक मांगों के आदेश जारी नहीं होंगे महापड़ाव जारी रहेगा।
महंगाई राहत कैंप में फूड खाद्य विभाग फूड पैकेट वितरित करेगा। इस कैंप से दो दिन पहले राजस्थान खाद्य और आपूर्ति सेवा समिति में शामिल 33 विभागीय जिला रसद अधिकारी, 100 प्रवर्तन अधिकारी और 300 प्रवर्तन निरीक्षकों ने एक सप्ताह तक कार्य बहिष्कार का ऐलान कर दिया। शुक्रवार को ये अधिकारी एक दिन के सामूहिक अवकाश पर रहे। प्रदेश अध्यक्ष नीरज कुमार जैन ने बताया कि सात दिन में सरकार ने मांगे नहीं मानी तो कार्य बहिष्कार को आगे बढ़ाया जाएगा।
वहीं, वेतन विसंगति और पदोन्नति के मामले को लेकर मंत्रालयिक कर्मचारी छह दिन से हड़ताल पर हैं। कर्मचारी मानसरोवर में महापड़ाव डाले हुए हैं। वहीं, चार हजार सूचना सहायक और दो हजार सहायक प्रोग्रामरों ने भी 24 अप्रैल से कार्य सामूहिक अवकाश पर जाने की घोषणा कर रखी है।