नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमत तय करने के लिए नए फॉर्मूले को मंजूरी दी है। साथ ही सीएनजी और पाइप से आपूर्ति की जाने वाली रसोई गैस की कीमतों की अधिकतम सीमा भी तय कर दी। इससे सीएनजी व पीएनजी के दाम 10 फीसदी तक घट जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में प्राकृतिक गैस पर किरीट पारिख समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी गई।
सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि पारंपरिक क्षेत्र से उत्पादित प्राकृतिक गैस (एपीएम) को अब अमेरिका-रूस की तरह कच्चे तेल की कीमतों से जोड़ा जाएगा। पहले गैस कीमतों के आधार पर मूल्य तय होता था। अब एपीएम गैस की कीमत भारतीय बास्केट में कच्चे तेल के दाम का 10 फीसदी होगी। हालांकि, यह कीमत 6.5 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश ताप इकाई (एमएमबीटीयू) से अधिक नहीं होगी। आधार मूल्य चार डॉलर प्रति एमएमबीटीयू रखा गया है। मौजूदा गैस कीमत 8.57 डॉलर है।
हर महीने तय होंगी कीमतें: नए फॉर्मूले में दो साल तक सीलिंग फिक्स रहेगी। फिर 0.25 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू की प्रतिवर्ष बढ़ोतरी होगी। सीएनजी-पीएनजी की कीमतों का निर्धारण अब हर महीने होगा। अभी दरें हर छह महीने में तय होती हैं।
इंसेंटिव दिया जाएगा;गैस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव है कि अतिरिक्त उत्पादन पर 20 फीसदी प्रीमियम दिया जाएगा। मौजूदा उत्पादक यदि गैस उत्पादन बढ़ाते हैं, तो उन्हें घोषित दाम के अलावा 20 फीसदी प्रीमियम के रूप में इंसेंटिव दिया जाएगा। उत्पादकों को इससे नई प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
जीएसटी के दायरे में लाने की सिफारिश: पारिख समिति ने गैस को जीएसटी के दायरे में लाने की भी सिफारिश की है। इसमें गैस पर सामान्य कर लगाने की सिफारिश की गई है, जो तीन फीसदी से लेकर 24 फीसदी तक हो सकता है। इससे गैस बाजार को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
एक साल में 80 फीसदी बढ़े दाम: अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊर्जा की कीमतें बढ़ने से देश में सीएनजी और पीएनजी के दाम एक साल में 80 फीसदी बढ़ गए हैं।