कैग को खाता-बही नहीं दे रही है राजस्थान की गहलोत सरकार, जानिए क्यों

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जयपुर। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार पर कैग ने गंभीर आरोप लगाए हैं। कैग ने राज्य में संवैधानिक संकट की स्थित पैदा होने की बात कही है। दरअसल, गहलोत सरकार अपने खाता-बही कैग से साझा नहीं कर रही है।

सूत्रों के अनुसार इसी मसले पर 9 फरवरी को कैग (CAG) यानी यानी नियंत्रक और महालेखापरीक्षक ने सरकार को संदेश भेजा। संघीय लेखा परीक्षक की ओर से मुख्य सचिव उषा शर्मा को भेजे इस संदेश में राजस्थान सरकार का संवैधानिक बाध्यता को चुनौती देने के प्रयास का विरोध किया गया है।

संविधान के अनुच्छेद 150 में यह अनिवार्य है कि संघ और राज्यों को ऐसे रूप में रखा जाएगा जैसा कि राष्ट्रपति सीएजी की सलाह पर निर्धारित कर सकते हैं। लेकिन प्रदेश में ट्रेजरी और सब ट्रेजरी को हटाकर गहलोत सरकार विभागों को शक्तियां देने वाले नए पे एंड अकाउंटिंग (पीएंडए) सिस्टम को लागू करने जा रही है। हालांकि सीएजी ने वित्त विभाग की इन कोशिशों को संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत बताया है।

राजस्थान सरकार ने इससे पहले अपने नए अकाउंटिंग सिस्टम को लेकर सीएजी को पत्रावली भेजी थी। इसके जवाब में सीएजी ने जवाब दिया था। कहा था कि मौजूदा अकाउंटिंग सिस्टम की जगह नया पीएंडए सिस्टम संवैधानिक नियमों के खिलाफ है। यह डीपीसी एक्ट 1971 के प्रावधानों के विरुद्ध है। कैग ने राज्य सरकार को इस मामले में आगे कोई भी कदम उठाने से बचने के लिए भी कहा गया।

राजस्थान विधानसभा के 7वें सत्र में पूछे गए एक लिखित प्रश्न जवाब इस बारे में जानकारी मिली थी। सरकार ने अपने जवाब में स्वीकार किया कि ट्रेजरी और सब ट्रेजरी के स्थान पर विभागों में पीएंडए ऑफिस खोले जाएंगे। इससे संबंधित ट्रेजरी और सब ट्रेजरी कार्यालय को बंद करने और अन्य कार्य में लेने के लिए विचार की बात भी कही गई।

सीएजी ने राज्य सरकार को आपत्ति जताते हुए पत्र लिखा है। इसमें बताया गया है कि नया पे एंड अकाउंटिंग सिस्टम डीपीसी एक्ट 1971 के प्रावधानों के खिलाफ है। सीएजी ने गहलोत सरकार को यह भी आगाह किया कि इस मामले में आगे कोई भी कदम उठाने से बचें।

राजस्थान या किसी भी अन्य राज्य में ट्रेजरी-सब ट्रेजरी का काम जिलों में चलने वाले दफ्तरों के वेतन बिल बनाना, नियमानुसार उनकी जांच का होता है। साथ ही पेंशन प्रकरण भिजवाना और ब्लाॅक स्तर पर स्टांप वितरण का काम भी इसी के जरिए होता है। ट्रेजरी और सब ट्रेजरी की ओर से सरकारी विभागों में वित्तीय गड़बड़ियों पर नजर और उनकी ऑडिट भी होती है।