मुंबई। Adani FPO Case: बाजार नियामक सेबी ने अदाणी इंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ के फॉलोऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) से जुड़े दो एंकर निवेशकों की जांच शुरू कर दी है। जांच अदाणी समूह के साथ इन निवेशकों के संबंधों से जुड़ी है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कहा कि जांच के संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को जानकारी दी गई है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) इस मामले में कानूनों के संभावित उल्लंघन या शेयर बिक्री प्रक्रिया में किसी भी तरह के हितों के टकराव की जांच कर रहा है। मॉरीशस की दो कंपनियों ग्रेट इंटरनेशनल टस्कर फंड और आयुष्मत लि. की अदाणी के साथ संबंधों की जांच भी हो रही है। दोनों ने एफपीओ में एंकर निवेशक के रूप में पैसा लगाया था।
कैपिटल एवं डिस्क्लोजर नियमों के मुताबिक, अगर कोई संस्थान किसी कंपनी के संस्थापक या संस्थापक समूह से जुड़ा है तो वह उस कंपनी में एंकर निवेशक नहीं हो सकता है। सेबी यही जांच कर रहा है कि जो भी एंकर निवेशक हैं, क्या वे समूह संस्थापकों से जुड़े हैं या नहीं। सेबी की जांच में एलारा कैपिटल और मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल भी हैं। यह उन 10 निवेश बैंकर्स में शामिल हैं, जिन्होंने एफपीओ का प्रबंधन किया था।
दो कंपनियों पर निगरानी हटी:नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने अदाणी समूह की तीन में दो कंपनियों अदाणी पोर्ट्स और अंबुजा सीमेंट्स को अतिरिक्त निगरानी व्यवस्था (एएसएम) से बाहर कर दिया है।
हितों के टकराव का है मामला: हिंडनबर्ग का आरोप है कि अदाणी समूह की एक निजी कंपनी की मोनार्क में मामूली हिस्सेदारी थी। यह कंपनी पहले समूह के लिए एक बुक रनर के रूप में काम कर चुकी थी। यह स्पष्ट रूप से हितों के टकराव का मामला है। इसने यह भी आरोप लगाया कि एलारा के एक मॉरीशस स्थित फंड ने अदाणी समूह की तीन कंपनियों के शेयरों में अपने बाजार मूल्य का 99 फीसदी निवेश किया है।
मूडीज ने चार कंपनियों की रेटिंग घटाई: मूडीज ने शुक्रवार को अदाणी समूह की चार कंपनियों की रेटिंग स्थिर से घटाकर नकारात्मक कर दी है। इन कंपनियों में अदाणी ग्रीन एनर्जी, अदाणी ग्रीन एनर्जी रिस्ट्रिक्टेड ग्रुप, अदाणी ट्रांसमिशन और अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई शामिल हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद इन कंपनियों के मूल्य में तेजी से गिरावट आई है।
अमेरिकी कानूनी फर्म नियुक्त: अदाणी समूह ने अमेरिका की कानूनी फर्म वाचटेल को नियुक्त किया है, जो हिंडनबर्ग के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी। ब्रिटिश समाचार पत्र के मुताबिक, वाचटेल के पास कॉरपोरेट कानून, नियामकीय मामलों और बड़े एवं संकट वाले लेनदेन के प्रबंधन का अनुभव है।