केंद्र सरकार ने किया हाडोती के लाखों किसानों के साथ अन्याय

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ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करना तो दूर बजट में चर्चा तक नहीं

-कृष्ण बलदेव हाडा-
केंद्रीय बजट में राजस्थान की महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देना तो दूर, इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए केन्द्रीय बजट में किसी भी तरह का वित्तीय प्रावधान नहीं करके केंद्र सरकार ने हाडोती संभाग के चारों जिलों कोटा, बूंदी, झालावाड़ और बारां के लाखों किसानों के साथ घोर अन्याय किया है।

इस परियोजना के बनकर तैयार होने के बाद पूर्वी राजस्थान के जिन 13 जिलों की कृषि भूमि को सिंचाई के लिए भरपूर पानी उपलब्ध कराने और पीने के पानी की उपलब्धता बढ़ाने के लिहाज से लाभान्वित किया जाना है, उसमें हाडोती संभाग के कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ जिलों सहित अन्य नौ जिलों में सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर और टोंक है।

इस परियोजना के तहत में प्रमुख नदी चम्बल सहित 16 नदियों को जोड़कर नहरों से सिंचाई की जानी है। इससे भविष्य में इन 13 जिलों में पेयजल और सिंचाई का संकट खत्म हो जाएगा और बिना बोरिंग के ही सतही जल उपलब्ध होगा। इससे राजस्थान की 40 प्रतिशत आबादी को पेयजल और 4.31 लाख हैक्टेयर जमीन की सिंचाई की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा परियोजना से 4.31 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई का पानी मिलने सहित दिल्ली-मुबंई इंडस्ट्रियल कोरिडोर प्रोजेक्ट के तौर राजस्थान में औद्योगिक विकास के नए रास्ते खुल सकते हैं।

यह बड़ा ही हास्यास्पद पहलू है कि यह महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना भारतीय जनता पार्टी की सरकार की ही परिवर्तित योजना है और उस समय बनी थी जब राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार थी। केंद्र सरकार इस परियोजना को महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना का दर्जा महज इसलिए नहीं दे पा रही है, क्योंकि वर्तमान में राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है।

श्री गहलोत चार साल पहले सरकार के अस्तित्व में आने के बाद से ही लगातार व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री सहित अन्य केंद्रीय नेताओं से यह आग्रह करते आ रहे हैं कि राजस्थान की इस महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा घोषित किया जाए। सबसे खास बात यह है कि ऐसा करने का वायदा विधानसभा चुनाव से पहले खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान की जनता से किया था।

यह योजना आज तक अस्तित्व में नहीं आ पा रही है, क्योंकि इसमें राज्य की कांग्रेस सरकार की तरफ से तो भरपूर आर्थिक संसाधन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। केंद्र सरकार अपने हिस्से के नाम पर एक धेला भी राजस्थान सरकार को देने के लिए तैयार नहीं है, जिसका नतीजा यह है कि यह परियोजना गति नहीं पकड़ पा रही है।

इसके अलावा यह स्थिति तब है जब केन्द्र सरकार में जल संसाधन मंत्री राजस्थान के जोधपुर से सांसद हैं। वे पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के मसले पर अकसर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कोसने में कोई भी कसर नही छोड़ते हैं। बात जब इस महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना को केन्द्र सरकार से राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने की आती है तो इनकी जुबान पर ताले लग जाते हैं।

इस परियोजना के समर्थन में प्रधानमंत्री मोदी के सामने मुंह खोलना तो दूर, कभी केन्द्रीय मंत्री परिषद की बैठक में इस मसले को मजबूती से उठाया तक भी नहीं है। उनका सारा फ़ोकस इस पर केन्द्रीत है कि अगले विधानसभा चुनाव में जैसे-तैसे भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन जाये और वे नरेन्द्र मोदी की ‘गुड बुक’ में बने रहकर मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हो जाएं। इसीलिये सारा ध्यान जोड़-तोड़ की राजनीति कर राजस्थान की सत्ता हासिल करने पर केन्द्रीत है।

इसके विपरीत प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो कल ही कहा है कि जानकारी में आ रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दौसा के दौरे पर आने वाले हैं तो ऐसे में राजस्थान के सभी सांसदों को एकजुट होकर प्रधानमंत्री के पास पहुंचकर इस महत्वकांक्षी सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाने के लिए उनसे आग्रह करना चाहिए। और अगर आवश्यकता हो तो दिल्ली भी जाकर प्रधानमंत्री के समक्ष राजस्थान का पक्ष प्रस्तुत करना चाहिए। इसमें वे भी उनके साथ हर स्थिति में सहयोग के लिये खड़े हैं।

श्री गहलोत यह पहले भी कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि इस समूची परियोजना पर 40 हजार करोड रुपए से भी अधिक का खर्च आने का अनुमान है। इतनी बड़ी रकम वहन करना अकेले राज्य सरकार की क्षमता के बाहर की बात है।

इसलिए इसमें केंद्र को हर संभव मदद करनी चाहिए। इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करके केंद्र सरकार राजस्थान को आर्थिक मदद पहुंचा कर प्रदेश के 13 जिलों के करोड़ों किसानों को लाभान्वित कर सकती हैं।