भारत एवं तंजानिया की साझेदारी से दोनों देशों में विकास को बढ़ावा मिलेगा: बिरला

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लोक सभा अध्यक्ष बिरला तंजानिया और जंजीबार की संसद अध्यक्षों से मुलाकात करते हुए।

दार-एस-सलाम (तंजानिया)। केन्या की अत्यधिक सफल यात्रा के बाद, लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला के नेतृत्व में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल (आईपीडी) बुधवार को पूर्वी अफ्रीका यात्रा के दूसरे चरण में तंजानिया की राजधानी, दार-एस-सलाम पहुंचा। हवाई अड्डे पर तंजानिया सरकार और तंजानिया में भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने श्री बिरला और प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का स्वागत किया।

लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने तंजानिया संसद की अध्यक्ष डॉ. तुलिया एक्सन के साथ विचार-विमर्श करते हुए इस बात पर जोर दिया कि भारत और तंजानिया के पारंपरिक रूप से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। दोनों देशों के संबंध साझे मूल्यों, उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष की विरासत और देशवासियों की प्रगति और समृद्धि की प्रबल इच्छा पर आधारित हैं। श्री बिरला ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि तंजानिया की विकास यात्रा में भारत हमेशा से एक विश्वसनीय भागीदार रहा है।

श्री बिरला ने दोनों देशों के बीच पारंपरिक रूप से घनिष्ठ, मैत्रीपूर्ण और सहयोगपूर्ण संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों देशों के संबंधों का विस्तार नवाचार और प्रौद्योगिकी के नए क्षेत्रों में भी किया जाना चाहिए। इस समय भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसमें आगे बढ़ने की क्षमता है। अफ्रीका महाद्वीप में तंजानिया सबसे महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था है। इसलिए आर्थिक क्षेत्र में भारत और तंजानिया की साझेदारी से दोनों देशों में विकास को बढ़ावा मिलेगा।

उन्होंने तंजानिया में आईआईटी की स्थापना का उल्लेख करते हुए कहा कि यह गर्व की बात है कि भारत के बाहर पहला आईआईटी तंजानिया में स्थापित किया जा रहा है। श्री बिरला ने यह भी कहा कि इससे तंजानिया के मानव संसाधन विकास में मदद मिलेगी। इस बात का उल्लेख भी किया कि प्रस्तावित टेक्नोलॉजिकल पार्क की स्थापना तंजानिया के विकास में सहायक होगी ।

दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह संतोष की बात है कि भारत और तंजानिया के बीच रक्षा साझेदारी समय के साथ बढ़ी है और उन्होंने यह आशा व्यक्त की कि यह और मजबूत होगी। भारत की जी-20 की अध्यक्षता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत इस शिखर सम्मेलन में विकासशील देशों और ग्लोबल साउथ के सरोकारों को सामने रखने का प्रयास करेगा।

प्रवासी भारतीयों के योगदान का उल्लेख करते हुए श्री बिरला ने कहा कि तंजानिया में भारतीय मूल के लोग देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। श्री बिरला ने सुझाव दिया कि नियमित रूप से संवाद और उच्च स्तर पर गणमान्य व्यक्तियों के दौरे से दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे। उन्होंने कहा कि जी-20 के साथ-साथ भारत की संसद इस वर्ष जी-20 देशों की संसदों के अध्यक्षों के पी-20 सम्मेलन का आयोजन भी करेगी। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते भारत इस मंच के माध्यम से वैश्विक मुद्दों का प्रभावी ढंग से समाधान करने का प्रयास करेगा।

उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कि 50 वर्षों के बाद भारत का एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल तंजानिया का दौरा कर रहा है। श्री बिरला ने कहा कि उच्च स्तरीय यात्राओं से राजनीतिक और संसदीय संबंध मजबूत होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की संसद संसदीय प्रतिनिधिमंडलों के आपसी आदान-प्रदान और यात्राओं का समर्थन करती है। इससे न केवल दोनों देशों और संसदों के बीच घनिष्ठता बढ़ती है, बल्कि दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क और सहयोग को भी बढ़ावा मिलता है।

उन्होंने संसदीय राजनय को मजबूत करने के लिए भारत-तंजानिया संसदीय मैत्री समूह की स्थापना की संभावना पर विचार किए जाने का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के मंच से एक दूसरे के अनुभवों और दृष्टिकोणों को साझा करने में मदद मिलेगी, जिसके परिणामस्वरूप द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे और सहयोग के नए अवसर खुलेंगे। लोक सभा सचिवालय के प्राइड के माध्यम से तंजानिया के विधानमंडल के सदस्यों और अधिकारियों के क्षमता निर्माण पर भी चर्चा हुई।

बैठक के दौरान श्री बिरला ने जंजीबार हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव्स के स्पीकर, जुबैर अली मौलिद साथ भी बातचीत की। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि भारत और जंजीबार के बीच सदियों पुराने संबंध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सदियों से भारतीय व्यापारी जंजीबार आते रहे हैं। श्री बिरला ने कहा कि कई भारतीय जंजीबार में बस गए, जिससे दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों का विकास हुआ।

श्री बिरला ने इस बात का उल्लेख भी किया कि वर्ष 1974 में, भारत जंजीबार में कोंसुलेट खोलने वाला पहला देश था, जिसके कारण भारत और जंजीबार के बीच कई उच्च स्तरीय राजनीतिक यात्राएं हुईं। जुबैर अली मौलिद ने श्री बिरला को जंजीबार आने का न्यौता दिया था।