देशभर के साइकेट्रिस्ट जुटे कोटा में, कोचिंग छात्रों के सुसाइड पर हुआ गहन मंथन

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कोटा। अखिल भारतीय औद्योगिक मनोविज्ञान संगठन (एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रियल साइकेट्री ऑफ इंडिया) का उन्नीसवां वार्षिक अधिवेशन शुक्रवार से लैंडमार्क सिटी कुन्हाडी स्थित एक होटल में शुरू हुआ। कांफ्रेंस में देशभर से 300 से अधिक जाने माने मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, स्नातकोत्तर विद्यार्थी व अन्य कई चिकित्सक एवं विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।

कांफ्रेंस की थीम ’कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य’ रखी गई है। अधिवेशन के प्रथम दिन कोटा में पढ़ रहे कोचिंग विद्यार्थियों में होने वाली मानसिक समस्याओं एवं आत्महत्या की प्रवृत्ति को देखते हुए एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया।

इस सत्र में मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. विजय सरदाना, अग्रवाल न्यूरोसाइक्रेट्री सेन्टर के वरिष्ठ मनोचिकित्सक एमएल अग्रवाल, मनोचिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. भरत सिंह शेखावत, डॉ. जुजर अली, डॉ. ब्रिगेडियर सलदाना, डॉ. एमएसवीके राजू, एलन कैरियर इंस्टीट्यूट से साइकोलॉजिस्ट हरीश शर्मा, मोशन आईआईटी के दर्शन गुसाईं ने संबोधित किया। वहीं ओपन डिस्काशन में डॉ. इंद्रा शर्मा, डॉ. गिरीश वर्मा, डॉ. अमृता मयंगर, डॉ. अनुज मित्तल, डॉ. अखिल अग्रवाल, डॉ. ऐश्वर्या मित्तल, डॉ. दीपक गुप्ता, डॉ. सुरभि समेत कईं विशेषज्ञ चिकित्सकों, बाल कल्याण समिति, एनजीओ तथा आमजन ने भाग लिया।

इस दौरान कोचिंग विद्यार्थियों में होने वाली मानसिक बीमारियों एवं आत्महत्या की प्रवृति के रोकथाम के बारे में गहन चर्चा की गई। डॉ. विजय सरदाना ने कहा कि सुसाइड पर विचार करते हुए पहले हमारे सोशल सिस्टम को समझना होगा। इसमें सोशल और रिलिजियस फेक्टर भी होते हैं। परीक्षा में सफलता जीवन की भी सफलता हो यह जरूरी नहीं है। एक्जाम केवल जिंदगी का पासपोर्ट है, इसके अलावा भी सफलता के कईं मापदंड हैं।

डॉ. एमएल अग्रवाल ने कहा कि न्युक्लियर फेमिली में बच्चे को ‘न’ सुनना नहीं सिखाया जाता है। बच्चे की स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान नहीं दिया जाता। बच्चे में व्यवहारिक बदलाव को समझना चाहिए। सुसाइड होने पर पूरा सिस्टम गंभीर हो जाता है, लेकिन थोड़े दिन बाद सबकुछ सामान्य हो जाता है। औसतन एक लाख पर 11 सुसाइड की संभावना तो रहती है, लेकिन इसे ग्लोरिफाई करने की जरूरत नहीं है। हमने जीरो सुसाइड का नारा दिया है, उसी पर काम करना होगा।

डॉ. भरत सिंह शेखावत ने कहा कि हर बार नई शुरुआत होती है, लेकिन उसका फ़ॉलोअप नहीं होता है। डॉ. एमएसवीके राजू ने कहा कि बिना डेटा के उसका एनालिसिस कैसे होगा? इसके बिना समाधान तक भी नहीं पहुंचा जा सकता है। डॉ. जूझर अली ने कहा कि हर क्षेत्र में व्यापक बदलाव हुए हैं। अब कोचिंग इंडस्ट्री पर भी बायलॉज बनने चाहिए।

मोशन आईआईटी के दर्शन गुसाईं ने कहा कि टीचर से अच्छा कोई कॉउंसलर नहीं होता है। देशभर के बच्चे कोटा आशा लेकर आते हैं। देश की 23 आईआईटी में 80 हजार बच्चों में से केवल 11 हजार बच्चे सेलेक्ट होते हैं। कोटा में दो लाख बच्चे पढ़ते हैं, इतने काउंसलर नहीं रख सकते।

एलन के हरीश शर्मा ने कहा कि बच्चे को बचपन से समझाना चाहिए कि संसार में सब कुछ नहीं मिल सकता है। हमारे एजुकेशन सिस्टम में अपेक्षा से अधिक अंक मिलने लगे हैं। कोविड में फ्री अंकों ने झूठी उम्मीद बंधाई है। अब कोचिंग में रियल स्टडी करनी पड़ती है तो दबाव आता है। बच्चों के प्रति सबकी जिम्मेदारी है। अभिभावक भी केवल फीस देकर फ्री नहीं हो सकते हैं।

कांफ्रेंस का औपचारिक उद्घाटन शनिवार शाम 7 बजे एक्जोटिका रिज़ॉर्ट में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला करेंगे। वहीं अधिवेशन के समापन समारोह में रविवार को स्वायत शासन मंत्री शांतिकुमार धारीवाल रहेंगे।

इनकी भी रही उपस्थिति
अधिवेशन में डॉ. संजय जायसवाल, डॉ. पीके चक्रवर्ती, डॉ. अशोक मूंदड़ा, डॉ. विनोद दड़िया, डॉ. पंकज जैन, डॉ. बासुदेव दास, डॉ. आरएस राठौर, डॉ. वीडी मील, डॉ. विनय चौहान, डॉ. पाटकर, डॉ. टीएस राव, डॉ. महेंद्र चौधरी, डॉ. आरपी मीना, डॉ. गौतम साह, , डॉ. राजीव सैनी, डॉ. सुप्रकाश चौधरी, डॉ. कल्पना श्रीवास्तव, डॉ. तूफान पति, डॉ. विनय कुमार, डॉ. जयदीप पाटिल, डॉ. ज्योति प्रकाश, डॉ. राजेन्द्र सिंह राठौड़, डॉ. अरूणा अग्रवाल, डॉ. सीएस सुशील, डॉ. डीके विजयवर्गीय उपस्थित रहे।