शंखनाद: समस्याओं का पहले समाधान करने वाला समाज ही आगे बढ़ता है-सोनी

0
276

अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन के अधिवेशन ‘शंखनाद’ का समापन

कोटा। अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन के तत्वावधान में लैंडमार्क सिटी में आयोजित द्वादश सत्र का महिला अधिवेशन ‘शंखनाद’ का मंगलवार को समापन हो गया।

समापन सत्र के अवसर पर अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महासभा के सभापति श्यामसुंदर सोनी ने कहा कि वर्तमान में वही समाज आगे बढ़ता है, जो समस्याओं का पहले समाधान करता है। इस दौरान प्रस्तुत नाटकों के माध्यम से सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं का जो समाधान प्रस्तुत किया वह सराहनीय है।

उन्होंने कहा कि इन नाटिकाओं को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है। समाज में क्रांति अब मातृशक्ति के माध्यम से ही आएगी। उन्होंने अधिवेशन की सफलता पर कहा देख कर सीना 56 इंच का हो गया। प्रमुख अतिथि एवं उद्योगपति मुरारीलाल कहालिया ने कहा कि हर परिवार में खतरे की घंटी बज चुकी है। अधिवेशन में प्रस्तुत नाटिकाओं को समाज के बालक बालिकाओं तक पहुंचाने का प्रयास किया जाए। विधायक दीप्ति कारण माहेश्वरी ने उनकी दिवंगत मां किरण माहेश्वरी को याद करते हुए कहा कि परिवार में संस्कार बहुत जरूरी हैं।

समारोह में अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महासभा के उप सभापति राजेश बिरला ने अधिवेशन की तैयारियों को लेकर कहा कि पहले लगा रहा था देश-विदेश से आने वाली समाज की महिलाओं की व्यवस्था में कोई कमी नहीं रह जाए। लेकिन, अधिवेशन सफल रहा, देश भर में इसका अच्छा मैसेज गया है। इस मौके पर एलन के डायरेक्टर गोविन्द माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी, महेश अजमेरा, युवा संगठन के अध्यक्ष राजकुमार कहालिया, विधायक कल्पना देवी, संभागीय आयुक्त दीपक नंदी और घनश्याम लाठी ने भी संबोधित किया।

प्री वेडिंग शूट नाटिका प्रस्तुत करती महिलाएं।

इससे पहले स्वास्थ्य एवं पारिवारिक समरसता समिति, विवाह बंधन सहयोग समिति की ओर से विभिन्न लघु नाटिकाओं की प्रस्तुति दी गई। लघु नाटिकाओं में प्री वीडिंग शूट, पैसों की बर्बादी, लव जिहाद से बचे समाज, छोटा सा मोबाइल रिश्तों पर भारी, गांव से न करो इंकार, बढ़ता पैकेज-परिवार का बैरियर जैसी नाटिकाओं के माध्यम से सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं का समाधान बताया गया।

बिरला, माहेश्वरी और अजमेरा का विशेष सम्मान
अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष आशा माहेश्वरी ने कहा इस अधिवेशन के मूल कर्णधार राजेश कृष्ण बिरला, गोविन्द माहेश्वरी और महेश अजमेरा हैं, जिनके बिना यह सफल आयोजन संभव नहीं था। समारोह में इन तीनों को विशेष रूप से सम्मान किया गया। उन्होंने बताया कि पहले यह अधिवेशन जनवरी में होना था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण यह अक्टूबर में संभव हो पाया।