नई दिल्ली। Export duty on rice: देश में चावल की बढ़ती कीमत को देखने हुए सरकार ने एक अहम फैसला किया है। उसना चावल को छोड़कर गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क (export duty) लगा दिया है। चालू खरीफ सत्र में धान फसल का रकबा काफी घट गया है। ऐसे में घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।
राजस्व विभाग की गुरुवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, धान के रूप में चावल और ब्राउन राइस पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया गया है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने कहा कि उसना चावल और बासमती चावल को छोड़कर अन्य किस्मों के निर्यात पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगेगा। अधिसूचना में कहा गया है कि यह निर्यात शुल्क नौ सितंबर से लागू होगा।
पिछले शुक्रवार से अब तक चावल की कीमत में पांच फीसदी का इजाफा देखने को मिला है। बांग्लादेश ने चावल के आयात पर इम्पोर्ट ड्यूटी 25 फीसदी से घटाकर 15.25 फीसदी कर दिया है। इससे देश में चावल की कीमत में अचानक तेजी आई है। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और कर्नाटक से चावल का निर्यात बांग्लादेश में किया जाता है। साथ ही देश में इस साल धान का रकबा पिछले साल के मुकाबले घटा है।
धान का रकबा घटा: कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, चालू खरीफ सत्र में अबतक धान का बुवाई क्षेत्र 5.62 प्रतिशत घटकर 383.99 लाख हेक्टेयर रह गया है। देश के कुछ राज्यों में बारिश कम होने की वजह से धान का बुवाई क्षेत्र घटा है। चीन के बाद भारत चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है। चावल के वैश्विक व्यापार में भारत का हिस्सा 40 प्रतिशत है।
भारत ने 2021-22 के वित्त वर्ष में 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था। इसमें 39.4 लाख टन बासमती चावल था। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में गैर-बासमती चावल का निर्यात 6.11 अरब डॉलर रहा। भारत ने 2021-22 में दुनिया के 150 से अधिक देशों को गैर-बासमती चावल का निर्यात किया।
अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने निर्यात शुल्क लगाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय चावल का निर्यात काफी कम मूल्य पर हो रहा था। निर्यात शुल्क से गैर-बासमती चावल का निर्यात 20 से 30 लाख टन घटेगा। वहीं 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क की वजह से निर्यात से प्राप्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा।