ज्वैलरी हमारी नहीं कहकर मुकर नहीं सकेंगे अब ज्वैलर्स, जानिए क्यों

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नई दिल्ली। ज्वैलरी हमारी नहीं कहकर मुकर नहीं सकेंगे अब ज्वैलर्स। क्योंकि अब ज्वेलर को जेवरात बेचने की पूरी जानकारी हॉलमार्क यूनिक आईडेंटिफिकेशन (एचयूआईडी) पोर्टल पर देनी होगी। नई व्यवस्था के तहत गहने बनाने वाले से लेकर ज्वेलर और खरीदने वाले का नाम, वजन और दाम सब कुछ पोर्टल पर दर्ज कराना होगा। केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने हॉलमार्क हाई लेवल कमेटी के सदस्यों से 30 मई तक सुझाव मांगे हैं।

एक जून से हॉलमार्क का दूसरा चरण सख्ती के साथ अनिवार्य रूप से लागू करने की तैयारी है। पिछले साल हॉलमार्क अनिवार्यता व्यवस्था में देश के 256 जिले शामिल किए गए थे। एक जून से 32 और जिले लिस्ट में शामिल हो जाएंगे। जिससे यह संख्या 288 पहुंच जाएगी।

क्या होगा फायदा

  • एचयूआईडी पोर्टल पर जानकारी अपलोड करनी होगी
  • आभूषण के मालिक के साथ वजन और कीमत भी रहेगी
  • बनने से लेकर अंतिम खरीदार तक की सभी जानकारी पोर्टल पर होगी
  • किसी भी तरह की गड़बड़ी तुंरत पकड़ में आएगी और सख्त कार्रवाई होगी

भारतीय मानक ब्यूरो के डीजी कार्यालय की ओर से हॉलमार्क कमेटी के 24 सदस्यों को पत्र लिखकर कहा गया है कि बनने से लेकर बिकने वाले हर आभूषण की जानकारी पोर्टल पर दी जाए। इस संबंध में उनसे सुझाव भी मांगे गए हैं।

ऑल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्ड स्मिथ फेडरेशन ने वेबिनार के जरिए सुझाव एकत्र किए हैं। अहम बात है कि पोर्टल के जरिए यह पता लग जाएगा कि गहना बनाने वाले ने किस ज्वेलर को बेचा। खुदरा विक्रेता ने किस ग्राहक को बेचा। खरीदार के नाम के साथ वजन और दाम भी पोर्टल पर होगा। किसी भी तरह की गड़बड़ी निकलने पर ज्वेलर के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी।

हालमार्क के दूसरे चरण के तहत बीआईएस ने कुंदन, पोल्की और जड़ाऊ पर भी हॉलमार्किंग लागू करने की तैयारी है। इस संबंध में भी कमेटी के सदस्यों से सुझाव मांगे गए हैं। नई व्यवस्था के तहत टांके वाली ज्वेलरी की भी जांच हालमार्क सेंटर पर कराई जा सकती है।