कोटा। भीषण गर्मी में तपती सड़क पर बिना चप्पलों के चलने को मजबूर श्रमिक, मजदूर, अभावग्रस्त और वंचित वर्ग के लोगों के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की पहल पर चप्पल वितरण अभियान गुरूवार से एक बार फिर प्रारंभ हुआ। स्पीकर बिरला तथा कोटा नागरिक सहकारी बैंक के अध्यक्ष राजेश बिरला ने एसी वाले गणेश जी मंदिर के पास स्थित श्रमिकों की बस्ती में बच्चों और महिलाओं को चप्पल भेंट कर अभियान का शुभारंभ किया।
आग बरसाते सूरज के इस मौसम में सड़कें भी जलने लगती हैं। ऐसे माहौल में सक्षम वर्ग के लोग तो स्वयं की सुरक्षा के सभी इंतजाम कर घर से निकलते हैं। लेकिन वंचित-अभावग्रस्त वर्ग के लोगों को हालात के कारण अनेक प्रकार के समझौते करने पड़ते हैं। कई बार वे और उनके परिवार के सदस्य सड़कों पर नंगे पांव ही निकल पड़ते हैं, जिससे उनके पांव झुलस जाते हैं।
करीब एक दशक पूर्व ऐसे ही एक परिवार को देख स्पीकर बिरला ने चप्पल भेंट की और तभी से चप्पल वितरण अभियान प्रारंभ हो गया। हर वर्ष जनसहयोग से स्पीकर बिरला इस अभियान को चलाकर जरूरतमंद लोगों को चप्पल-जूते भेंट करते हैं। संसदीय क्षेत्र कोटा-बूंदी के नगरीय क्षेत्र के सभी वार्डों और ग्रामीण क्षेत्र की सभी पंचायतों के लिए अभियान गुरूवार से प्रारंभ हुआ। सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से कोटा-बूंदी के प्रत्येक जरूरतमंद तक चप्पल-जूते पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
अभियान का शुभारंभ करते हुए स्पीकर बिरला ने कहा कि हम अपने पांवों में जरा सी तकलीफ सहन नहीं कर पाते, सोचिए जब यह लोग बिना चप्पल सड़क पर चलते होंगे, कितनी तकलीफ होती होगी। भीषण गर्मी में तपती सड़क इनके पैरों को जला देती हैं, पांव जगह-जगह से कट जाते हैं। मजदूरों-श्रमिकों के छोटे-छोटे बच्चों के पांव भी झुलसे हुए हैं। यह देख मन में एक पीड़ा होती है, एक दर्द उठता है।
संवेदनशीलता के साथ इनके दर्द को कम करने, इनके आंखों से आंसू पौंछने के लिए यह प्रकल्प प्रारंभ किया गया था। आज एक दशक बाद भी यह प्रकल्प जनसहयोग से पूरी गति से जारी है। सामाजिक कार्यकर्ता, प्रबुद्धजन और जनता भी इस अभियान में सहभागी बने। वे भी अपनी गाड़ी में नए-पुराने चप्पल-जूतों की कुछ जोड़ियां रखें। जहां भी कोई अभावग्रस्त व्यक्ति दिखे, उसे भेंट कर दें। सामूहिक प्रयासों से ही हम लोगों के दर्द को कम कर सकते हैं।
चेहरे पर नजर आई खुशी
पैरों में नई और रंग-बिरंगी चप्पल मिलने के बाद महिलाओं और बच्चों के चेहरों पर खुशी नजर आई। सड़क पर नंगे पांव चलने के कारण उनके पांव झुलस चुके थे। लेकिन चप्पल मिलने के बाद उन्हें बड़ी राहत मिली। वे अब दोपहर में भी बिना झिझक अपनी झौंपड़ी के बाहर जा सकते हैं।