युद्धक विमान बनाने में ब्रिटेन भारत की मदद करेगा, होगा नया रक्षा समझौता

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नई दिल्ली। अमेरिका की तरह ब्रिटेन भी भारत का रक्षा सहयोगी बनना चाहता है । यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटिश पीएम बोरिस जानसन की बहुप्रतीक्षित मुलाकात से पहले ही ब्रिटिश सरकार ने भारत को ओपन जनरल एक्सपोर्ट लाइसेंस (OGEL) जारी करने का एलान किया। जिस देश को ब्रिटिश सरकार यह लाइसेंस देती है, उसे वहां से तकनीक हस्तांतरण करने की सारी बाधा समाप्त हो जाती है।

बाद में जानसन ने बताया कि यह भारत केंद्रित लाइसेंस होगा, जो दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को और प्रगाढ़ बनाएगा। मोदी के साथ जानसन की बैठक में इस बारे में चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने माना कि इससे ब्रिटेन के उड्डयन और नौसैनिक जहाजों के निर्माण के क्षेत्र में भारतीय कंपनियों के प्रवेश का द्वार भी खुल जाएगा।

ब्रिटेन की इस महत्वपूर्ण पेशकश को पश्चिमी देशों की इस कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है कि वे चाहते हैं कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भरता कम करे। भारत अपनी जरूरत का 60 प्रतिशत रक्षा उपकरण रूस से लेता है। यह एक बड़ी वजह है कि वह रूस के साथ अपने रिश्तों को बिगाड़ने का खतरा नहीं उठा सकता।

दूसरी तरफ, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पश्चिमी देश भारत पर दबाव बना रहे हैं कि वह लोकतांत्रिक देशों के साथ मिल कर रूस का विरोध करे। वैसे ब्रिटेन से पहले अमेरिका इस तरह का समझौता भारत के साथ कर चुका है। पश्चिमी देशों के दो अन्य सहयोगी देश आस्ट्रेलिया और जापान के साथ भी भारत रक्षा क्षेत्र में सहयोग लगातार प्रगाढ़ कर रहा है।

भारत को युद्धक विमानों की जरूरत को देखते हुए ब्रिटेन ने इस बारे में भी मदद देने की पेशकश की है। जानसन ने संकेत दिया कि दोनों देशों के बीच एक नया व्यापक रक्षा समझौता भी होगा। उन्होंने रक्षा उत्पादों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की भारत की तैयारी में पूरा समर्थन देने की बात कही है।

मोदी और जानसन ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत दोनों देशों के बीच रक्षा उपकरणों का उत्पादन, शोध, मिलकर विकास और तकनीक हस्तांतरण के महत्व को स्वीकार किया। यह सहमति भी बनी कि साथ मिलकर भारत या दूसरे देशों की रक्षा जरूरतों के हिसाब से भी संयुक्त उद्यम लगाने की संभावना को तलाशा जाएगा।

भारतीय उद्योग को अत्याधुनिक रक्षा तकनीक उपलब्ध कराने के लिए द्विपक्षीय स्तर पर और दूसरे देशों के साथ मिलकर भी काम किया जाएगा। इस बारे में विस्तार से रक्षा मंत्रियों के बीच होने वाली बैठक में विमर्श किया जाएगा। रक्षा सहयोग को लेकर जानसन व मोदी की बैठक में जो सहमति बनी है, उसे समझौते का रूप देने का फैसला रक्षा मंत्रियों की बैठक में होगा।

भारत-ब्रिटेन के बीच प्रगाढ़ होते रक्षा संबंधों के पीछे एक अन्य वजह हिंद प्रशांत क्षेत्र भी है, जहां चीन का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है। जानसन ने कहा भी कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत उनका एक अहम सहयोगी देश है।