नई दिल्ली। फेडरेशन ऑफ इंडिया एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) का कहना है कि निर्यातकों को सरकार से अभी 25 से 30 हजार करोड़ रुपए का टैक्स रिफंड लेना है। यह टैक्स रिफंड मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (MEIS) स्कीम के तहत लिया जाएगा। दूसरी ओर निर्यातक नई टैक्स बेनेफिट स्कीम पर स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं।
FIEO और अन्य निर्यात प्रमोशन काउंसिल्स ने सरकार को चेतावनी दी है कि लिक्विडिटी संकट से चालू तिमाही में विदेशी व्यापार प्रभावित हो सकता है। FIEO ने वाणिज्य मंत्रालय से कहा है कि जनवरी-मार्च तिमाही में इंजीनियरिंग गुड्स, कैमिकल्स, लेदर गुड्स, हैवी इंडस्ट्रीज, हैंडीक्राफ्ट एंड कारपेट जैसी वस्तुओं का निर्यात बड़े पैमाने पर प्रभावित हो सकता है।
FIEO के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय का कहना है कि हम केंद्र सरकार की फंड की कमी की समस्या को जानते हैं। लेकिन सरकार को निर्यातकों को क्लेम फाइल करने और उनको स्वीकार करने की मंजूरी देनी चाहिए। इससे निर्यातक क्लेम में मिलने वाली राशि के बदले लोन ले सकेंगे।
नीति आयोग ने भी उठाए थे स्कीम पर सवाल
केंद्र सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने भी MEIS स्कीम पर सवाल उठाए थे। आयोग ने कहा था कि इस स्कीम से देश के निर्यात में मामूली बढ़ोतरी हुई है लेकिन टैक्स का बोझ दोगुना हो गया है। 2015-16 में इस स्कीम के तहत 20,232 करोड़ रुपए का टैक्स रिफंड किया गया था, जो 2019-20 में बढ़कर 39 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच गया था। जबकि 2014-15 के 310 बिलियन डॉलर के मुकाबले 2019-20 में केवल 313 बिलियन डॉलर का निर्यात हुआ। वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि सरकार MEIS फंड को परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम में डायवर्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सरकार ने नई स्कीम लॉन्च की
केंद्र सरकार ने हाल ही में पेश किए गए आम बजट में निर्यातकों के लिए एक नई स्कीम लॉन्च की है। इस स्कीम के लिए 13 हजार करोड़ रुपए का फंड आवंटित किया गया है। वित्त मंत्रालय ने 2020 में MEIS स्कीम की तर्ज पर 50 हजार करोड़ रुपए की सपोर्ट देने का वादा किया था। MEIS स्कीम के सभी लाभ 1 जनवरी 2021 से बंद हो चुके हैं। लेकिन सरकार ने नई स्कीम के टैक्स बेनेफिट की दर तय नहीं की है। इसको लेकर निर्यातकों में असमंजस बना हुआ है।