नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) करोड़ों रुपये के वित्तीय घोटालों की जांच में बैंकिंग और कर विशेषज्ञों की मदद लेगी। CBI ने अन्य मंत्रालयों से अपने यहां बैंकिंग और कर विशेषज्ञों को प्रतिनियुक्ति पर भेजने का आग्रह किया है। जांच एजेंसी ने इसके लिए उन्हें अच्छी धनराशि देने की पेशकश की है।
इस समय सीबीआई 13,000 करोड़ रुपये के पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले और कई अन्य वित्तीय घोटालों की जांच कर रही है। सीबीआई ने वित्त मंत्रालय और अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालयों को आधिकारिक रूप से पत्र भेजकर सलाहकार (बैंकिंग), वरिष्ठ सलाहकार (विदेश व्यापार या विदेशी विनिमय), उप सलाहकार (विदेश व्यापार या विदेशी विनिमय) और वरिष्ठ सलाहकार कराधान की प्रतिनियुक्ति की मांग की है।
बताया जाता है कि जिन अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर सीबीआई में भेजा जाएगा उन्हें एजेंसी में छोटे कार्यकाल के लिए अनुबंध किया जाएगा। विभिन्न मंत्रालयों को भेजे पत्र में कहा गया है कि ये अधिकारी जांच एजेंसी को बैंकिंग, विदेश व्यापार और विदेशी विनिमय, कराधान से संबंधित मामलों की जांच में तकनीकी सहयोग और अपनी विशेषज्ञ सेवाएं देंगे।
इसके अलावा वे एजेंसी में काम कर रहे अन्य तकनीकी अधिकारियों के कामकाज की निगरानी करेंगे। सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर आने वाले अधिकारियों को वेतन के अलावा 20 प्रतिशत का विशेष सुरक्षा भत्ता भी देय होगा। पत्र में कहा गया है कि इन पदों के लिए आवेदन करने वाले अधिकारियों को इसके बाद अपने आवेदन को वापस लेने की अनुमति नहीं होगी।
पंजाब नैशनल बैंक घोटाले के अलावा सीबीआई ने कुछ समय पहले सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों, आईडीबीआई बैंक के पूर्व चेयरमैन, निदेशक और एयरसेल के पूर्व प्रवर्तक सी शिवशंकरन और उनके पुत्र और कपनियों के खिलाफ आईडीबीआई बैंक के साथ 600 करोड़ रुपये की ऋण धोखाधड़ी का मामला भी दर्ज किया है।
गत शुक्रवार को सीबीआई ने वडोदरा की डायमंड पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. के 2,654 करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी मामले में बैंक आफ इंडिया के दो वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। वित्तीय धोखाधड़ी को लेकर रिजर्व बैंक के कुछ पूर्व अधिकारी भी सीबीआई जांच के घेरे में है। सूत्रों का कहना है कि वित्तीय विशेषज्ञों की मदद से जांच एजेंसी वित्तीय अपराधों की जांच को तेजी से पूरा कर पाएगी।