चेन्नई। दक्षिण भारत के दो महत्वपूर्ण उत्पादक राज्यों- तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं से फसल को हुए नुकसान के कारण उड़द की कीमतों में तेजी आने लगी है।
इसमें अच्छी तेजी-मजबूती की धारणा भी बन रही है। व्यापार विश्लेषको का कहना है कि म्यांमार में नई फसल की जोरदार आपूर्ति शुरू होने तक भारत में उड़द का भाव मजबूत रह सकता है।
तमिलनाडु में पहले फेंगल नामक समुद्री चक्रवाती तूफान के प्रभाव से तेज हवा के साथ मूसलाधार बारिश हुई और भयंकर बाढ़ आ गई। इसके बाद भी भारी वर्षा का दौर जारी रहा जिससे उड़द की फसल क्षतिग्रस्त हो गई।
उधर आंध्र प्रदेश में इस प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ पीले मोजैक वायरस से भी फसल को काफी नुकसान होने की सूचना मिल रही है। तमिलनाडु के विल्लूपुरम क्षेत्र में फसल बर्बाद हो गई है और आंध्र प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में उड़द की फसल को काफी नुकसान होने की खबर मिल रही है।
कलबुर्गी स्थित संस्था- कर्नाटक प्रदेश रेड ग्राम ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष के अनुसार कर्नाटक के पूर्वोत्तर क्षेत्र में फसल की कटाई-तैयारी के दौरान लगातार होने वाली बारिश से उड़द की फसल क्षतिग्रस्त हो गई थी।
इससे उड़द की पैदावार के साथ-साथ क्वालिटी भी प्रभावित हुई। उस क्षेत्र में उत्पादन बमुश्किल 20 प्रतिशत तक ही पहुंच सका। हालांकि वहां अत्यधिक बारिश के कारण मूंग की फसल भी प्रभावित हुई मगर उड़द की तुलना में इसे कुछ कम क्षति हुई।
खरीफ सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर उड़द का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के 32.60 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 30 लाख हेक्टेयर के करीब रह गया था। मध्य प्रदेश, उड़ीसा एवं राजस्थान में क्षेत्रफल घटा था जबकि कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश एवं आंध्र प्रदेश में बढ़ गया था।