राजस्थान में अभी तक बिजाई क्षेत्र 28 लाख हेक्टेयर तक ही पहुंच सका
जयपुर। सरसों तथा जौ के प्रमुख उत्पादक प्रान्त- राजस्थान में मौसम की हालत अनुकूल नहीं होने से न केवल रबी फसलों की बिजाई की गति धीमी रही और सामान्य औसत क्षेत्रफल के मुकाबले रकबा घट गया बल्कि नियत समय से पहले ही बिजाई की प्रक्रिया भी लगभग समाप्त हो गई।
आगे उत्पादन क्षेत्र में सुधार आने के नगण्य आसार हैं। यदि मौसम एवं वर्षा की स्थिति में शीघ्र ही सुधार नहीं आया तो वहां रबी फसलों के उत्पादन में गिरावट आने की आशंका बढ़ जाएगी।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में अक्टूबर से रबी फसलों की बिजाई शुरू हुई थी जो अब करीब-करीब समाप्त हो चुकी है। कुल मिलाकर वहां रबी फसलों का कुल बिजाई क्षेत्र नियत लक्ष्य की तुलना में केवल 85 प्रतिशत से कुछ ऊपर पहुंच सका।
9 दिसम्बर 2024 तक गेहूं का रकबा 88 प्रतिशत पर पहुंचा। इसके उत्पादन क्षेत्र का लक्ष्य 32 लाख हेक्टेयर नियत किया गया था मगर वास्तविक बिजाई क्षेत्र 28 लाख हेक्टेयर तक ही पहुंच सका।
लेकिन जौ का बिजाई क्षेत्र 3.80 लाख हेक्टेयर के नियत लक्ष्य से 5 प्रतिशत बढ़कर 4 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। दूसरी ओर चना का उत्पादन क्षेत्र 19.60 लाख हेक्टेयर पर अटक गया जो नियत लक्ष्य 22.50 लाख हेक्टेयर का 87 प्रतिशत रहा। उल्लेखनीय है कि राजस्थान गेहूं एवं चना के भी अग्रणी उत्पादक राज्यों में शामिल है।
जहां तक सबसे प्रमुख तिलहन फसल-सरसों का सवाल है तो राजस्थान में इस बार इसका उत्पादन क्षेत्र 32.70 लाख हेक्टेयर पर अटक गया जो निर्धारित लक्ष्य 40.50 लाख हेक्टेयर से 19 प्रतिशत कम है।
इन आंकड़ों से स्पष्ट संकेत मिलता है कि राज्य में नियत लक्ष्य के मुकाबले तीनों प्रमुख फसलों- गेहूं, चना एवं सरसों के उत्पादन क्षेत्र में भारी गिरावट आई है और बिजाई की प्रक्रिया लगभग खत्म होने से क्षेत्रफल में आगे कोई खास सुधार आने की संभावना भी नहीं है।
राजस्थान में वर्षा के अभाव एवं ऊंचे तापमान की वजह से फसलों की प्रगति भी प्रभावित होने की संभावना है। वहां शीतकालीन वर्षा की सख्त आवश्यकता महसूस की जा रही है।
दीपावली के बाद से राज्य में बारिश की कमी बनी हुई है। वर्षा होने पर तापमान में भी गिरावट आएगी और तभी फसलों का बेहतर विकास सुनिश्चित हो सकेगा। वर्तमान मौसम फसलों के लिए ज्यादा अनुकूल नहीं है।