वृंदावन बिहारी लाल की लीलाएं देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक, महारास के रस में भीगा रोम रोम

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भारतीय कला संस्थान डींग के कलाकारों ने दी महारास की अदभुत प्रस्तुति

कोटा। Maharas in Kota Dussehra: 131वें राष्ट्रीय दशहरा मेले का समापन समारोह श्रीराधा -कृष्ण की रास लीलाओं का अनुपम गवाह बना। भारतीय कला संस्थान डीग के कलाकारों की अप्रतिम प्रस्तुति ने पूरे मेला परिसर को “महारास” के रंग में रंग दिया। कोटा के दशहरा मैदान में बृज जीवंत हो उठा।

भक्ति और प्रेम से सराबोर महाराज ने भक्तों को बृज चौरासी की ऐसी अदभुत यात्रा करवाई कि हर कोई राधा कृष्ण के दिव्य प्रेम में डूब गया। आत्मा को स्पर्श करने वाला अनुभव देने वाले महारास के जरिए श्रीकृष्ण के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को बखूबी प्रकट किया।

श्रीकृष्ण की लीलाओं के इस अदभुत प्रदर्शन ने उनके रास के विविध स्वरूपों मयूर महारास, डांडिया महारास और होली महारास मनोहारी रंग में रंग दिया। होली महारास में कृष्ण ने राधा और उनकी सखियों के साथ फूलों की होली खेल प्रेम की अद्भुत छटा बिखेर दी। कृष्ण की 16 कलाओं की झलक मयूर महाराज में देखने को मिली। वहीं डांडिया महारास दर्शकों को उनके अद्वितीय व्यक्तित्व और शक्ति की ओर ले गया।

श्री राधा कृष्ण लीला का जीवंत प्रदर्शन देख हर कोई उनके प्रेम और भक्ति में डूब गया। इस दौरान चला चलिए जहां बसे बृजराज.. के जरिए मयूर महारास ने तो जैसे समय के प्रवाह को रोक कर सभी को उस दिव्य क्षण का साक्षी बना दिया। रास रचावे नंदलाला.. आज बिरज में होरी रे रसिया.. बृजनार बन आयो कन्हैया.. सरीखे भजनों पर श्री कृष्ण और राधे रानी के नृत्य ने हर किसी को भाव विभोर कर दिया।

विजयश्री रंगमंच पर जब तक महारास का दिव्य आयोजन चलता रहा दर्शक जहां के तहां जमे रहे। अपलक किशोरी श्यामा जूं और बिहारी जी के पावन लीलाओं में ही डूबे रहे। करीब एक घंटे तक चले महारास ने एहसाह ही नहीं होने दिया कि दर्शक कोटा में बैठे हैं या बृज चौरासी की परिक्रमा में डूबे हैं।