जस्सू खान मांगणियार ने दिखाई खड़ताल की जादूगरी
कोटा। Kota dussehra 2024: 131वाँ राष्ट्रीय दशहरा मेला की आखिरी सांझ राजस्थानी लोक रंगों में ऐसी रंगी कि देशी ही नहीं विदेशी पावणे भी सतरंगी रंग में रंग गए। दशहरा मेले के समापन अवसर पर राजस्थानी लोक गायक जस्सू खान मांगणियार और उनके साथियों की सुरीली गायकी से महक उठी।
इस दौरान पर्यटन विभाग के विकास पांड्या, संदीप श्रीवास्तव, कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी, मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी एवं फिल्म “सफेदा” के इटेलियन कलाकार और पर्यटक भी मौजूद रहे।
जस्सू ने स्वागत गीत “केसरिया बालम पधारो म्हारे देश…” के साथ सुरों का ऐसा रंग बिखेरा कि हर कोई निहाल हो गया। इसके बाद उन्होंने “घूमर” तो कभी “बन्ना जीमो तो हलुआ है बादाम रो सा” की तान छेड़ सभी को झूमने के लिए मजबूर कर दिया। उन्होंने “आफरीन आफरीन..” “हुस्न ए जाना की तारीफ मुमकिन नहीं..” सुनाया तो विजयश्री रंगमंच तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
जस्सू खान “झिर्मर बरसे मेव…..”, “निबुड़ा…” , “दमा दम मस्तकलंदर …….” जैसे गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। उन्होंने जैसे ही “कदी आओ नी रसीले म्हारे देश” और “छाप तिलक सब छीनी तोसे नैना मिलायके” सुनाए हर कोई झूम उठा। दमादम मस्त कलंदर पर तो विदेशी पाँवणे भी खूब थिरके।
आखिर में जब “राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी” सुना पूरा माहौल ही भक्ति के रंग में रंग डाला। जोगिंदर सिंह की खड़ताल और इकतारे की जुगलबंदी ने भी सबका खूब मन मोहा। जस्सू खान का साथ गायन में सत्तार सिंह और स्वरुप सिंह ने दिया। वहीं संगतकारों में ढोलक पर निहाल खान ने, हारमोनियम पर स्वरुप खान ने, ढफली पर रहीश खान ने साथ दिया।
डेजर्ट सिम्फनी ने किया रोमांचित
समारोह में जस्सू खां ने खड़ताल की जादूगरी दिखाते हुए पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ जुगलबंदी से कार्यक्रम को नई ऊँचाइयाँ दी। उनके दल में मौजूद कलाकारों ने ढोलक, ढोल, मोरचंग, कमायचा, सिंधी सारंगी, अलगोजा, भपंग, झांझ, हरमोनियम शानदार जुगलबंदी कर डेजर्ट सिम्फनी की शानदार प्रस्तुति दी।