नई दिल्ली। Current Account Deficit: भारत के चालू खाते का घाटा अप्रैल-जून तिमाही में सालाना आधार पर बढ़कर GDP के 1.1% पर पहुंच गया है। इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में चालू खाता घाटा 970 डॉलर, या GDP का 1.1% रहा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 8.9 अरब डॉलर या जीडीपी का 1% था।
तिमाही आधार पर (QoQ) देखा जाए तो वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही (Q4FY24) के दौरान भारत के चालू खाते का घाटा GDP का 0.5% या 4.6 अरब डॉलर का सरप्लस रहा था। RBI ने कहा कि सालाना आधार पर करेंट अकाउंट डेफिसिट का बढ़ना मुख्य रूप से व्यापार घाटे (merchandise trade deficit) में वृद्धि के कारण रहा।
2024-25 की पहली तिमाही में मर्केंडाइज ट्रेड डेफिसिट यानी व्यापार घाटा 65.1 बिलियन डॉलर हो गया, जो 2023-24 की पहली तिमाही में 56.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। अगस्त में भारत का व्यापार घाटा अपेक्षा से अधिक बढ़कर 29.65 अरब डॉलर हो गया।
RBI के डेटा के मुताबिक, जून तिमाही में नेट सेवाएं प्राप्तियों (Net services receipts) में 39.7 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई, जो पिछले साल की समान अवधि में 35.1 अरब डॉलर थी। RBI ने बताया कि सेवाओं के निर्यात में कंप्यूटर सर्विसेज, बिजनेस सर्विसेज, ट्रैवल सर्विसेज और ट्रांसपोर्ट सर्विसेज जैसी प्रमुख श्रेणियों में सालाना आधार पर वृद्धि हुई है।
विदेशों में काम करने वाले भारतीयों द्वारा भेजे गए निजी हस्तांतरण प्राप्तियों (private transfer receipts) में 29.5 अरब डॉलर की वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष 27.1 अरब डॉलर थी। RBI ने बताया कि देश के बैलेंस ऑफ पेमेंट में पहली तिमाही में 5.2 अरब डॉलर का surplus रहा, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 24.4 अरब डॉलर था।
केंद्रीय बैंक ने बताया कि भारत का शुद्ध विदेशी निवेश प्रवाह (net foreign direct investment inflows) यानी FDI इनफ्लो Q1FY25 में बढ़कर 6.3 अरब डॉलर हो गया। यह पिछले साल की समान अवधि (Q1FY24) में 4.7 अरब डॉलर था। अनिवासी जमा (NRI deposits) में 4.0 अरब डॉलर का नेट इनफ्लो दर्ज किया गया, जो एक साल पहले के 2.2 अरब डॉलर से अधिक है।