देश के कृषि क्षेत्र में वृद्धि दर चार साल के निचले स्तर पर पहुंचने का अनुमान

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नई दिल्ली। growth rate of agriculture sector: वित्त वर्ष 2023-24 में कृषि, वानिकी और मत्स्य क्षेत्र के लिए स्थिर मूल्य पर भारत का सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) घटकर 4 साल के निचले स्तर 1.8 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है।

शुक्रवार को जारी जीडीपी के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक खरीफ की फसल कमजोर होने और रबी की शुरुआती बोआई कमजोर रहने के कारण ऐसा होने की संभावना है।

बहरहाल कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि जीवीए के आंकड़ों में बदलाव हो सकता है क्योंकि शुरुआती अनुमान 5-6 महीनों के आंकड़ों के मुताबिक तैयार किए जाते हैं और अंतिम तस्वीर फरवरी में ही सामने आएगी।

बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘यह निराशाजनक है, क्योंकि हम उम्मीद कर रहे थे कि वित्त वर्ष 24 में जीवीए करीब 3 से 3.5 प्रतिशत के बीच रहेगा।’

पहले अनुमान के मुताबिक असमान बारिश के कारण 2023-24 में करीब सभी खरीफ फसलों का उत्पादन कम रहा है, जबकि चना जैसी कुछ रबी फसलों की शुरुआती बोआई भी मिट्टी में नमी कम होने के कारण प्रभावित हुई है।

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि मौजूदा भाव पर कृषि, बागवानी और मत्स्य क्षेत्र का जीवीए वित्त वर्ष 24 में 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 23 में यह 12.1 प्रतिशत था। इससे वित्त वर्ष 22 में महंगाई का असर 3.7 प्रतिशत है, जो वित्त वर्ष 23 में 8.1 प्रतिशत था।

बहरहाल पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक खरीफ की सबसे बड़ी फसल चावल का उत्पादन 2023-24 में 3.79 प्रतिशत घटकर 1,063.1 लाख टन रह सकता है, जो 2022-23 के अंतिम अनुमान में 1,105.0 लाख टन था।

इतना ही नहीं, अनुमान से पता चलता है कि इस साल सभी प्रमुख खरीफ फसलों मूंग, उड़द, सोयाबीन और गन्ने का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। रबी की सबसे बड़ी दलहन फसल चने के रकबे में गिरावट के कारण रबी की फसलों का रकबा 5 जनवरी, 2024 तक पिछले साल से 1.24 प्रतिशत कम रहा है।