सर्वे रिपोर्ट: पीएम मोदी के नेतृत्व में विश्व में बज रहा भारत का डंका, निवेश भी बढ़ा

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नई दिल्ली। Survey: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया में भारत का डंका बज रहा है। भारत का वैश्विक कद काफी बढ़ गया है और मोदी एक विश्व नेता के रूप में स्थापित हुए हैं। लोकनीति-सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के सहयोग से एनडीटीवी के एक विशेष सर्वेक्षण में अधिकांश लोगों ने यह राय जाहिर की है। अधिकांश लोगों का यह भी मानना है कि भारत अब दुनिया का सबसे आकर्षक इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन है।

यह सर्वेक्षण जनता के मूड का आकलन करता है। पीएम मोदी इस महीने 26 मई को केंद्र की सत्ता में नौ साल पूरे कर रहे हैं और अगले साल राष्ट्रीय चुनाव सहित कई चुनावों की तैयारी कर रहे हैं। यह सर्वेक्षण कर्नाटक चुनाव के ठीक बाद 10 से 19 मई के बीच 19 राज्यों में किया गया था।

पीएम मोदी के नेतृत्व पर क्या बोले लोग: कम से कम 63 फीसद उत्तरदाताओं का मानना था कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत का वैश्विक कद बढ़ा है। लगभग 23 फीसद सहमत नहीं थे। 14 फीसद ने सवाल का जवाब नहीं दिया। इस बात पर कि क्या भारत अब विश्व स्तर पर सबसे आकर्षक इन्वेंस्टमेंट डेस्टिनेशन है, 55 फीसद लोगों ने सहमति व्यक्त की, जबकि 27 फीसद असहमत थे। सर्वेक्षण में शामिल 59 फीसद लोगों का मानना था कि भारत की सांस्कृतिक राजधानी का विकास हुआ है। 54 फीसद का कहना है कि भारत अब पीएम मोदी के नेतृत्व में एक विश्व नेता है। 27 फीसद ने अपने विचार नहीं बताए।

चीन-पाकिस्तान से कैसे निपट रही सरकार: मोदी सरकार द्वारा चीन को हैंडिल करने के मुद्दे पर 29 फीसद रेटिंग के साथ इसे “अच्छा” और लगभग इतने ही लोगों (28 फीसद ) ने इसे “बुरा” कहा। लगभग 13 फीसद को लगता है कि सरकार ने औसत काम किया है। दूसरी ओर सरकार के पाकिस्तान से निपटने के संबंध में लगभग एक तिहाई उत्तरदाताओं (30 फीसद ) ने खराब और 28 फीसद ने अच्छा कहा।

विकास, बेरोजगारी और महंगाई पर कितने मिले नंबर: 47 फीसद ने सरकार के विकास कार्यों को उच्च रेटिंग दी है, बेरोजगारी और महंगाई पर चिंता बनी हुई है। सरकार ने महंगाई को कैसे नियंत्रित किया, इस पर आलोचनात्मक रूप से मूल्यांकन किया गया है, जिसमें 57 फीसद खराब और 33 फीसद अच्छा बताया।

क्या आपके अच्छे दिन आए: सर्वे में शामिल लोगों को पिछले चार वर्षों में अपनी आर्थिक स्थिति साझा करने के लिए भी कहा गया था। इस पर 35 फीसद ने कहा कि वे बेहतर स्थिति में हैं, जबकि 42 फीसद ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। 22 फीसद ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति पिछले कुछ वर्षों में खराब हो गई, जिसमें कोविड काल भी शामिल है जब लॉकडाउन और नौकरी के नुकसान ने लाखों लोगों को प्रभावित किया था।

ग्रामीण (33 फीसद ) की तुलना में शहरी क्षेत्रों (40 फीसद ) में यह मानने वाले उत्तरदाताओं की संख्या अधिक थी कि उनकी स्थिति में सुधार हुआ है। गांवों में अधिक लोगों (43 फीसद ) ने कहा कि उनके शहरी समकक्षों (40 फीसद ) की तुलना में उनकी आर्थिक स्थिति अपरिवर्तित है। शहरों (18 फीसद ) की तुलना में गांवों में अधिक (23 फीसद ) ने कहा कि उनकी स्थिति खराब हो गई है।

बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा: सर्वेक्षण के मुताबिक बेरोजगारी आज (29 फीसद ) देश के सामने सबसे बड़ा मुद्दा है, इसके बाद गरीबी (22 फीसद ), मुद्रास्फीति (19 फीसद ), और भ्रष्टाचार (5 फीसद ) है। आर्थिक मंदी एक वैश्विक चिंता है, हालांकि भारत ने कुछ हद तक बेहतर प्रदर्शन किया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत को “वैश्विक अर्थव्यवस्था में उज्ज्वल स्थान” के रूप में वर्णित किया है।

सरकार के विकास फोकस से सबसे ज्यादा फायदा किसे हुआ है? इस सवाल पर 38 फीसद का मानना है कि सभी को हुआ, जबकि 36 फीसद का कहना है कि केवल अमीरों को हुआ और 18 फीसद कहते हैं “किसी को नहीं”। क्या सरकार ने किसानों के मुद्दों को अच्छी तरह से संभाला? इस सवाल पर 46 फीसद ने प्रदर्शन को “खराब” बताया और 39 फीसद ने कहा कि यह अच्छा था।

डबल इंजन की सरकार: सर्वेक्षण में यह भी पूछा गया कि क्या “डबल इंजन की सरकार ” – केंद्र और राज्य दोनों में – वास्तव में राज्यों को लाभ पहुंचाती है, जैसा कि विभिन्न चुनावों में भाजपा की प्रचार रणनीति रही है। 20 फीसद मानते हैं कि ऐसा होता है, जबकि 16 फीसद असहमत हैं। कम से कम 57 फीसद उत्तरदाताओं ने कहा कि लोकलुभावन नीतियां गरीबों के लिए आवश्यक हैं, जबकि 30 फीसद ने कहा कि वे अर्थव्यवस्था पर बोझ डालती हैं। बता दें लोकनीति-सीएसडीएस ने 71 निर्वाचन क्षेत्रों में 7,202 लोगों के साथ सर्वे किया।