नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को खाद्य तेल विनिर्माताओं, पैकेजिंग करने वालों और आयातकों को अनुचित व्यापार व्यवहार को रोकने के प्रयासों के तहत लेबल में तापमान के बजाय मात्रा और वजन के संदर्भ में शुद्ध मात्रा का उल्लेख करने का निर्देश दिया।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बयान में कहा कि लेबल में सुधार करने के लिए इकाइयों को 15 जनवरी, 2023 तक का समय दिया गया है। बयान में कहा गया है कि चूंकि खाद्य तेल का वजन अलग-अलग तापमान पर भिन्न-भिन्न होता है, इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि खरीद के समय उपभोक्ता को पैकेज में सही मात्रा मिले कंपनियों को तापमान का उल्लेख किए बिना उक्त उत्पादों को पैक करने की सलाह दी गई है। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि पैकेज में घोषित मात्रा सही हो।
सरकार द्वारा यह कदम अनुचित व्यापार व्यवहार के संबंध में खाद्य तेल ब्रांडों के खिलाफ बढ़ती उपभोक्ता शिकायतों के बीच उठाया गया है। विधिक मापतौल (पैकेटबंद सामग्री) नियम 2011 के तहत उपभोक्ताओं के हित में सभी पहले से पैक उत्पादों पर अन्य घोषणाओं के अलावा वजन या माप की शुद्ध मात्रा घोषित करना अनिवार्य है।
नियमों के तहत किए गए प्रावधानों के अनुसार, खाद्य तेल, वनस्पति घी आदि की शुद्ध मात्रा को या तो वजन या मात्रा में घोषित करना आवश्यक है। अगर यह मात्रा में घोषित किया जाता है, तो अनिवार्य रूप से वस्तु के बराबर वजन घोषित किया जाना चाहिए।
बयान में कहा गया है कि हमने पाया है कि उद्योग लगातार शुद्ध मात्रा की घोषणा करते हुए तापमान का उल्लेख कर रहे हैं। कंपनियां खाद्य तेल की शुद्ध मात्रा की घोषणा कर रही हैं, जिसमें द्रव्यमान की इकाइयों के साथ पैकिंग के समय तापमान का उल्लेख है। वहीं कुछ विनिर्माता तापमान को 60 डिग्री सेल्सियस तक दर्शा रहे हैं।
यह देखा गया है कि जब पैकेजिंग में उच्च तापमान का उल्लेख होता है तब खाद्य तेल, वनस्पति घी आदि की शुद्ध मात्रा की इस तरह की घोषणा को आयतन के संदर्भ में मात्रा के साथ अलग-अलग तापमानों पर (उदाहरण के लिए एक लीटर) स्थिर रखा जाता है। मंत्रालय के मुताबिक, यह सुनिश्चित करेगा कि खरीद के समय उपभोक्ता को पैकेज में सही मात्रा मिले।