नई दिल्ली। आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2021-22 या असेसमेंट ईयर 2022-23 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म नोटिफाई कर दिए हैं। इस बार के फॉर्म्स में कोई बड़ा बदलाव तो नहीं किया गया है, लेकिन फिर भी कुछ चीजें बदली (New ITR Forms Rules) हैं। टैक्स देने वालों को अब कुछ अतिरिक्त जानकारी भी मुहैया करानी होगी। अगर इन बदलावों की जानकारी नहीं होगी तो मुमकिन है कि आपको फॉर्म भरने में कुछ दिक्कत हो। आइए जानते हैं ऐसी ही जानकारियों के बारे में जो आपको आईटीआर फाइल करते समय देनी होंगी।
पेंशनभोगियों के लिए बढ़ी कैटेगरी
आईटीआर फॉर्म्स में पेंशनभोगियों को पेंशन के सोर्स के बारे में जानकारी देनी होगी। Nature of Employment ड्रॉप-डाउन मेन्यू में पेंशनभोगियों को कुछ विकल्पों में से एक चुनना होगा। अगर केंद्र सरकार के पेंशनर हैं तो Pensioners – CG चुनें, राज्य सरकार की पेंशन है तो Pensioners – SC चुनें, अगर पब्लिक सेक्टर कंपनी से पेंशन मिल रही है तो Pensioners – PSU चुनें और बाकी पेंशनभोगी Pensioners – Others चुनें, जिसमें ईपीएफ पेंशन भी शामिल है।
ईपीएफ खाते में टैक्सेबल ब्याज की घोषणा
अगर आप ईपीएफ में किसी साल में 2.5 लाख रुपये से अधिक का योगदान करते हैं तो अतिरिक्त योगदान पर कमाए गए ब्याज पर आपको टैक्स देना होगा। इस ब्याज के बारे में आपको आईटीआर फॉर्म में बताना होगा।
बिल्डिंग या जमीन खरीदने या बेचने की तारीख
अगर आपने 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 के बीच कोई जमीन खरीदी या बेची है तो इस साल से आपको तारीख की जानकारी भी देनी होगी। आपको आईटीआर फॉर्म में Capital Gains के अंदर खरीदी या बिक्री की तारीख बतानी होगी।
जमीन या बिल्डिंग की रिनोवेशन की हर साल की जानकारी
जमीन या बिल्डिंग के रिनोवेशन और बेहतरी पर आपने जो खर्च किया है, उसकी जानकारी साल दर साल के आधार पर देनी होगी। इस कॉस्ट को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन निकालने के लिए बिक्री की कीमत में से घटाना होगा। इस साल से आपको ये जानकारी भी देनी जरूरी है।
अधिग्रहण की असली कॉस्ट
कैपिटल गेन्स की रिपोर्टिंग के दौरान अभी तक सिर्फ इंडेक्स कॉस्ट ही बतानी होती थी, लेकिन इस साल से आपको इंडेक्स कॉस्ट के साथ-साथ ओरिजनल कॉस्ट भी बतानी होगी।
रेसिडेंशियल स्टेटस को सपोर्ट करने के लिए अतिरिक्त जानकारी
आईटीआर फाइल करते वक्त आपको अपना रेसिडेंशियल स्टेटस बताना जरूरी होता है। इस साल अगर आप आईटीआर-2 या आईटीआर-3 फॉर्म भर रहे हैं तो आपको रेसिडेंशियल स्टेटस को सपोर्ट करने लिए जरूरी विकल्प चुनना होगा। इसमें आपको कई विकल्प मिलेंगे, जिसमें आपको बताना होगा कि आप कब से भारत में रह रहे हैं। पहले भी आईटीआर फॉर्म्स में रेसिडेंशियल स्टेटस पूछा जाता था। हालांकि, इस साल काफी सटीक जानकारी ली जा रही है, जिससे सही रेसिडेंशियल स्टेटस सुनिश्चित हो सके।
ईएसओपी पर टैक्स टालने की जानकारी
जैसा कि 2020 के बजट में घोषणा की गई थी कि किसी स्टार्टअप के कर्मचारी उन्हें मिले ईएसओपी पर टैक्स देना भविष्य के लिए टाल सकते हैं। हालांकि, इसके लिए कुछ नियम और शर्तें भी हैं। इस बार आईटीआर फॉर्म भरते वक्त कर्मचारी को टाली गई टैक्स की रकम बतानी होगी। करदाता को वित्त वर्ष 2020-21 में टाले गए टैक्स का अमाउंट, 2021-22 में लगने वाला टैक्स, जिस तारीख पर वह कंपनी का कर्मचारी नहीं रहा, जितना टैक्स अगले साल के लिए टालना है वो बैलेंस जैसी जानकारियां देनी होंगी।
विदेशी संपत्ति और कमाई
अगर किसी के पास विदेश में संपत्ति है या विदेश से किसी असेट पर डिविडेंड या ब्याज से कमाई हुई है, तो आईटीआर भरते वक्त उसकी जानकारी देनी जरूरी है। इसके लिए आईटीआर फॉर्म-2 और आईटीआर फॉर्म-3 का इस्तेमाल किया जा सकता है।
भारत के बाहर बेची गई संपत्ति की डिटेल्स
अगर किसी इंडिविजुअल ने कोई ऐसी प्रॉपर्टी बेची है जो देश के बाहर बेची गई हो तो आईटीआर भरते वक्त इसकी जानकारी देनी होगी। प्रॉपर्टी की सारी जानकारी जैसे खरीदार और प्रॉपर्टी के एड्रेस की जानकारी देनी होगी।
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