6 इन 1 वैक्‍सीनेशन: शिशुओं और अभिभावकों के लिए वरदान

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कोटा। बच्चे असंख्य कीटाणुओं के संपर्क में आते हैं, जिनमें से कुछ गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली अभी भी विकसित हो रही होती है, ऐसे में वह सभी घातक बीमारियों से नहीं लड़ सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सभी आयु समूहों में डिप्थीरिया, पर्टसिस (काली खांसी) और टेटनस जैसे संक्रमणों से होने वाली मौतों को रोकने के लिए टीकाकरण सबसे सफल सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों में से एक है।

6 इन 1 कॉम्बिनेशन वैक्‍सीनेशन (टीकाकरण) बच्चों को 6 गंभीर बीमारियों: डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी, हेपेटाइटिस बी और पोलियोमाइलाइटिस से बचाता है। इस बारे में डॉ.जसवंत महावर, प्रबंधन निदेशक, पेडियाट्रिक्स, फेलो, नियोनाटोलॉजी.एआईपी. चीफ नियोनाटोलॉजिस्ट एवं प्रभारी माँ NICU ने कहा,अभिभावकों के लिए मिश्रित वैक्क्सीन वरदान है।

क्योंकि यह बच्चों को एक ही इंजेक्शन से और डॉक्टर की क्लिनिक में बार बार जाए बिना ही कई बीमारियों से सुरक्षा देता है। इन दिनों अभिभावक अपने बच्चों के लिए उपलब्ध वैक्सींस के बारे में काफी जागरूक हो गए हैं और उन विकल्पों को अपनाना चाहते हैं जो कम कष्टदायक और सुविधाजनक हैं।

इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार, बच्चों को 6, 10 और 14 सप्ताह की उम्र में टीके लगवाने होते हैं। 6-इन-1 टीकाकरण इन 6 रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। 6-इन-1 टीकाकरण (6 in 1 Vaccination) का मतलब है कि बच्चे इनमें से प्रत्येक समय पर केवल 2 इंजेक्शन तथा 1 ओरल वैक्‍सीन लेते हैं।

हाल के वर्षों में, भारत ने देश में टीकाकरण कवरेज बढ़ाने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण – एनएफएचएस -5 से उल्लेखनीय सुधार का पता चला है। भारत में पूर्ण टीकाकरण वाले 12 से 23 महीने के आयु वर्ग के बच्चों का प्रतिशत 62% से बढ़कर 76.4% हो गया है और राजस्थान में यह 54.8% से 80% हो गया है।