50 लाख से अधिक की आय छिपाने पर 10 वर्ष पुराना केस भी हो सकता है रिओपन

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कोटा। टैक्स बार एसोसिएशन कोटा की ओर से आयोजित दो दिवसीय टैक्स वेबिनार शनिवार को संपन्न हो गई। इस अवसर पर टैक्स बार एसोसिएशन कोटा के अध्यक्ष एडवोकेट राजकुमार विजय ने कहा कि नए नियमों के अनुसार अगर इनकम में किसी तरह की 50 लाख की गलती पकड़ी जाती है तो उस स्थिति में 10 साल पुराना केस भी रिओपन किया जा सकता है। इनकम टैक्स विभाग रिएसेसमेंट के लिए 3 वर्ष तक के केस को खोल सकता है।

असेसमेंट और अपील सब कुछ फेसलेस
इंदौर के चार्टर्ड अकाउंटेंट मनीष डफरिया ने कहा कि अब सभी आयकर स्कूटनी एसेसमेंट नेशनल ई एसेसमेंट सेंटर पर होंगे। उसकी अपील नेशनल फेसलेस अपील सेंटर पर करनी होगी अर्थात पूरा देश एक जूरिडिक्शन में समाहित हो गया है। अब किसी अधिकारी को संबोधित करते हुए कोई जवाब नहीं दिया जा सकता है। साथ ही एक बार में सिर्फ 14 दिन की तारीख ही मिल सकती है, जो सेंटर द्वारा दी जाएगी।

करदाता की सुनवाई के अधिकार को फेसलेस सिस्टम में पूरी तरह से नकार दिया गया है। परंतु उसकी एक छोटी सी व्यवस्था की गई है जिसके तहत विभाग चाहे तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से करदाता से संपर्क कर सकता है। जोकि चुनींदा मामलों में सीमित समय के लिए उपलब्ध होगी। उसमें भी करदाता का आईडी प्रूफ देख कर ओपन किया जाएगा। सभी नोटिस और पत्राचार ऑनलाइन और मेल के माध्यम से होगा।

अगर करदाता से कोई चूक होती है तो विभाग उसके लिए जिम्मेदार नहीं है। असेसमेंट के बाद आयकर विभाग को करदाता को ड्राफ्ट ऑर्डर देने के लिए कानून में व्यवस्था है। परंतु कई बार उसका उल्लंघन किया जाता है, जोकि करदाता को अपील में राहत प्रदान करता है।परंतु अपील का ड्राफ्ट एसेसमेंट ऑर्डर देने का कोई प्रावधान नहीं है। अपील में अगर कोई संशोधन चाहते हैं तो उसका प्रार्थना पत्र भी ऑनलाइन ही लगाना होगा।

आयकरदाता की मृत्यु के बाद क्या: डफरिया ने कहा कि आयकरदाता की मृत्यु के बाद रिएसेसमेंट के नोटिस की समय अवधि समाप्त होने के बाद अगर कार्यवाही शुरू नहीं हुई तो विभाग उत्तरधिकारियों पर कार्यवाही नहीं कर सकता।

स्टडी सर्किल चेयरमैन सीए नीरज जैन ने कहा रिएसेसमेंट के लिए आयकर विभाग से वैधानिक रूप से कारण मांगे जा सकते हैं, जिसके लिए विभाग ऑब्जेक्शन नहीं कर सकता। सेमिनार का संचालन कोऑर्डिनेटर सीए तुषार ढींगरा ने किया।