फ़सल लेट होने व चुनावी माहौल के चलते गेहूं की सरकारी खरीदी पिछड़ी

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मुकेश भाटिया, कोटा। गेहूं की फसल लेट होने एवं लोकसभा चुनाव के चलते गेहूं की खरीद गति धीमी दिखाई दे रही है। इस बार गत वर्ष समान अवधि की तुलना में केवल 31 प्रतिशत के करीब ही खरीद हो पाई है। गेहूं की फसल इस बार तापमान लंबे समय तक कम रहने के बाद मौसम बिगड़ने से गेहूँ की कटाई व मड़ाई का काम क़रीब 20 दिन पिछड़ गया हैं।

एक तरफ फसल लेट होने एवं दूसरी ओर लोकसभा का चुनावी दौर चलने से देश के सभी क्षेत्रों में वाहनों के आवागमन पर सख्ती की जा रही है। दूसरी ओर नकदी रुपये की भी कमी मंडियों में बनी हुई है। इसके प्रभाव से गेहूं की आवक चौतरफा घट गयी है।

अभी तक गेहूं की सरकारी खरीद 55.17 लाख टन के करीब हो पाई है, जिसमें हरियाणा में 28.54 लाख टन एवं मध्य प्रदेश में 18.89 लाख टन की खरीद हुई है। इसके अलावा अन्य राज्यों में दो लाख टन से नीचे ही वसूली हुई है। गत वर्ष अब तक गेहूं की खरीद 180 लाख टन के करीब हो गयी थी।

एमपी सरकार द्वारा 1840 रुपए के समर्थन मूल्य पर 160 रुपए क्विंटल का अतिरिक्त बोनस देकर 2000 रुपए में खरीद की जा रही है, जबकि अन्य राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही अलग-अलग एजेंसियों के माध्यम से गेहूं की खरीद चल रही है। अकेले एफसीआई ने 6.44 लाख टन की गेहूं वसूली की है। जबकि राज्य की सभी एजेंसियों को मिलाकर 48.73 लाख टन की खरीद हुई है। इस तरह कुल खरीद 55.17 लाख टन तक ही अभी पहुंच पाई है।

इस वर्ष के लिये गेंहूँ की सरकारी खरीद का लक्ष्य 357 लाख टन का निर्धारित किया गया है। गत वर्ष यह लक्ष्य 320 लाख टन का था। गत वर्ष इसी अवधि में गेहूं की आवक अधिक रहने के साथ साथ ख़रीद करने की सरकारी ततपरता से गेहूं के ख़रीद लक्ष्य को पूरा किया गया था, जबकि इस वर्ष दोनों तरफ से रूझान कम दिखाई दे रहे हैं।

बाज़ार विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में बिजाई तो अधिक हुई थी, लेकिन बीच-बीच हुई बरसात के चलते, किसानों द्वारा एक सिंचाई कम कर दिये जाने से मड़ाई के बाद प्रति हैक्टेयर उत्पादकता कमज़ोर दिखाई दे रही है।

गेहूं का झाड़ कम बैठ रहा है। इसे देखते हुए उत्पादन में 40 लाख टन की कमी पर 960 लाख टन उत्पादन से अधिक बैठने के आसार नहीं है। इससे पूर्व 1000 लाख टन का उत्पादन अनुमान लगाया गया था। जानकार मानते है कि उत्पादन में कमी से सरकारी खरीद लक्ष्य को पूरा करने में परेशानी होगी तथा सरकारी एजंसियों के खरीद, लक्ष्य तक पहुंच पाना मुश्किल लग रहा है।

इस बार गेहूं की खपत मक्की-बाजरे के भाव ऊंचे होने से हरियाणा, पंजाब सहित उत्तर भारत की मंडियों में अभी 7 फ़ीसदी के करीब अधिक रही है। अत: आगे गेहूं की कीमतों में ज्यादा मंदा नहीं लग रहा है। इस समय हरियाणा, पंजाब पहुंच बिना मुद्दत के 1850/1875 रुपए एवं दिल्ली पहुंच में 1900 रुपए का व्यापार हो रहा है। जो गत वर्ष 1750 रुपए का भाव दिल्ली पहुंच था।