स्वार्थ के कारण बनाए रिश्ते ज्यादा नहीं चलते: आर्यिका सौम्यनन्दिनी 

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कोटा। महावीर नगर विस्तार योजना स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी संघ के पावन वर्षायोग के अवसर पर माताजी ने प्रवचन करते हुए रिश्तों में विश्वास होना जरूरी है, विश्वास नहीं है तो रिश्तों का कोई महत्व नहीं होता। जहां विश्वास नहीं वहां रिसता लीकेज होता हैं।

उन्होंने कहा कि कठोर और कड़वे बोल आपसी संबंधों को बिगाड़ देते हैं। जब भी बोलें तोल-मोल के बोलें, क्योंकि वाणी अमूल्य है। जो मीठा बोलना जानता है वह सब कुछ प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि कम बोलो मगर अच्छा बोलो, उन्होंने परीक्षा पेपर का उल्लेख करते हुए कहा कि परीक्षार्थी को भी कई प्रश्नों के उत्तर निर्धारित 100 शब्दों में दिया जाना होता है।

शब्द ज्यादा हुए तो भी और कम हुए तो भी परीक्षार्थी को नुकसान उठाना पड़ता है, इसलिए शब्दों के मूल्य की पहचान होना जरूरी है। स्वार्थ के कारण बनाए रिश्ते ज्यादा नहीं चल पाते हैं। वात्सल्य भाव को मोक्ष का मार्ग बताते हुए माताजी ने कहा कि परिवार में आदर और वात्सल्य ही सुख प्रदान करता है।

उन्होंने संतो के रिश्तों की व्याख्या कर कहा कि संतों के रिश्ते गुरु और शिष्य के ही होते हैं। आत्मा का सदाचार अनुभवी मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। अशुद्ध दशा में रहकर भी मनुष्य को अपनी सोच और दृष्टि को उच्च भाव में रखना चाहिए।