सरकार न गेहूं महंगा होने देगी और न आटा, जानिए क्या किया इंतजाम

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नई दिल्ली। Wheat Price Control: गेहूं और चावल की बढ़ती कीमत में आने वाले दिनों में लगाम लग सकती है। सरकार ने गुरुवार को कहा कि उसने खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के प्रयासों के तहत खुले बाजार में खाद्यान्न उतारकर 2,334 बोलीदाताओं को ई-नीलामी के जरिये बफर स्टॉक से 2.84 लाख टन गेहूं और 5,830 टन चावल बेचा है।

खाद्य मंत्रालय ने बयान में कहा कि 21वीं ई-नीलामी 15 नवंबर को आयोजित की गई थी। इसमें खुला बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत तीन लाख टन गेहूं और 1.79 लाख टन चावल की पेशकश की गई थी। मंत्रालय ने कहा कि 2,334 बोलीदाताओं को 5,830 टन चावल के साथ 2.84 लाख टन गेहूं बेचा गया।

चावल, गेहूं और आटे की खुदरा कीमत को नियंत्रित करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप की केंद्र सरकार की पहल के तहत गेहूं और चावल दोनों की साप्ताहिक ई-नीलामी आयोजित की जाती है। खाद्यान्न की खरीद और वितरण के लिए सरकार की प्रमुख एजेंसी एफसीआई ओएमएसएस के तहत अपने बफर स्टॉक से गेहूं बेच रहा है।

मंत्रालय ने कहा कि पूरे भारत में 2,150 रुपये प्रति क्विंटल के आरक्षित मूल्य के मुकाबले उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) वाले गेहूं के लिए भारित औसत बिक्री मूल्य 2,246.86 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि गुणवत्ता मानदंडों में ढील वाले (यूआरएस) गेहूं का 2,125 रुपये प्रति क्विंटल के आरक्षित मूल्य के मुकाबले भारित औसत बिक्री मूल्य 2,232.35 रुपये प्रति क्विंटल था।

कितने में मिलेगा आटा: इसके अलावा गेहूं को आटे में बदलने और इसे ‘भारत आटा’ ब्रांड के तहत जनता को बिक्री के मकसद से पेश करने के लिए ओएमएसएस (डी) के तहत केंद्रीय भंडार, एनसीसीएफ, नाफेड जैसे अर्ध-सरकारी और सहकारी संगठनों को 2.5 लाख टन गेहूं आवंटित किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि इनका अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। इस साल 14 नवंबर तक इन तीन सहकारी समितियों द्वारा आटे में परिवर्तित करने के लिए 15,337 टन गेहूं उठाया गया है। व्यापारियों को ओएमएसएस (डी) के तहत गेहूं की बिक्री के दायरे से बाहर रखा गया है और स्टॉक की जमाखोरी से बचने के लिए 14 नवंबर तक देशभर में 1,917 औचक जांच की गई है।