सभी किसानों के लिए पीएम किसान योजना अधिसूचित

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दिल्ली।अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए सरकार ने प्रधानमंत्री किसान योजना का विस्तार सभी 14.5 करोड़ किसानों तक करने के फैसले को शनिवार को अधिसूचित कर दिया। इससे इस योजना का लाभ देश के सभी किसानों को मिल सकेगा, बेशक उनके पास कितनी भी जमीन हो। इस योजना के तहत सरकार किसानों को खाते में सालाना 6,000 रुपये डालेगी। इस बारे में फैसला 31 मई को नयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार की पहली मंत्रिमंडल की बैठक में किया गया।

राज्य करेंगे लाभार्थियों की पहचान
वर्ष 2019 के आम चुनाव के अपने चुनावी घोषणा पत्र में बीजेपी ने इस योजना का लाभ सभी किसानों को देने का वादा किया था। इस फैसले को अधिसूचित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों लाभार्थियों की पहचान करने को कहा है। राज्यों को यह भी पहचान करनी होगी कि कौन से लोग इस योजना के दायरे में नहीं आते हैं।

इन्हें नहीं मिलेगा योजना का लाभ
इस योजना का लाभ जिन लोगों को नहीं मिल सकेगा उनमें संस्थागत भूमि धारक, संवैधानिक पद संभालने वाले किसान परिवार, राज्य/केंद्र सरकार के साथ-साथ पीएसयू और सरकारी स्वायत्त निकायों के सेवारत या सेवानिवृत्त अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। डॉक्टर, इंजीनियर और वकील के साथ-साथ 10,000 रुपये से अधिक की मासिक पेंशन पाने वाले सेवानिवृत्त पेंशनभोगियों और अंतिम मूल्यांकन वर्ष में आयकर का भुगतान करने वाले पेशेवरों को भी योजना के दायरे से बाहर रखा गया है।

87,217.50 करोड़ आएगा खर्च
अंतरिम बजट में 75,000 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री-किसान योजना की घोषणा की गई थी। इसके तहत दो हेक्टेयर तक की जोत वाले लगभग 12.5 करोड़ छोटे और सीमांत किसानों को प्रति वर्ष (तीन बराबर किस्तों में) 6,000 रुपये प्रदान किए जाएंगे। संशोधित योजना के तहत वित्त वर्ष 2019-20 में इस पर अनुमानित रूप से 87,217.50 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। साथ ही इसके दायरे में दो करोड़ और किसानों को लाया जाएगा।

मौजूदा भूमि स्वामित्व प्रणाली’ का उपयोग
केंद्र ने राज्य सरकारों को ‘मौजूदा भूमि स्वामित्व प्रणाली’ का उपयोग करने के लिए कहा है, ताकि लाभार्थियों की पहचान की जा सके और पीएम-किसान पोर्टल पर परिवार के विवरण अपलोड होने के बाद लाभ का अंतरण किया जा सके। इसमें कहा गया है कि पात्र लाभार्थी किसानों की पहचान करने और पीएम-किसान पोर्टल पर उनका विवरण अपलोड करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से राज्य सरकारों की है।