संसद का विशेष सत्र आज से; हंगामेदार रहने के आसार, ये चार अहम बिल होंगे पेश

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नई दिल्ली। Special session of parliament: संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र सोमवार से शुरू होने जा रहा है। हंगामेदार रहने के आसार हैं। इससे पहले रविवार को रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी।

बैठक में विपक्ष की ओर से महिला आरक्षण विधेयक को पेश करने की मांग रखी गई। हालांकि सत्र का एजेंडा सरकार जारी कर चुकी है लेकिन इसके बावजूद विशेष सत्र बुलाए जाने के कारणों को लेकर विपक्ष अभी भी आश्वस्त नहीं है। पिछले सत्रों की तरह इसके भी हंगामेदार रहने की संभावना है। राजनीतिक गलियारों में सरकार के इस फैसले को लेकर पहले ही बड़ी चर्चाओं का दौर जारी है।

सरकार का कहना है कि सोमवार को संसद का विशेष सत्र शुरू होने के बाद कार्यवाही को मंगलवार को नए भवन में ले जाया जाएगा। इस दौरान ‘संविधान सभा से शुरू हुई संसदीय यात्रा के 75 साल-उपलब्धियां, अनुभव, स्मरण एवं सीखें’ विषय पर चर्चा होगी। सोमवार से शुरू हो रहा यह सत्र पांच दिनों तक चलेगा। आगामी लोकसभा और पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिहाज से भी इस सत्र को काफी अहम माना जा रहा है।

ये चार अहम बिल होंगे पेश
संसद के इस विशेष सत्र के दौरान चार विधेयक चर्चा और पारित करने के लिए पेश किए जा सकते हैं। इनमें एडवोकेट एमेंडमेंट बिल 2023, प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन आफ पीरियोडिकल्स बिल 2023, पोस्ट आफिस बिल 2023 और चीफ इलेक्शन कमीश्नर एवं अदर इलेक्शन कमिश्नर अप्वाइंटमेंट एंड सर्विस बिल का नाम शामिल है।

एडवोकेट एमेंडमेंट बिल 2023
विधेयक तीन अगस्त को राज्यसभा में पारित हुआ था तथा 4 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था। इसमें कोर्ट परिसर में दलालों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर प्रावधान किए गए हैं तथा यह 1961 में बने एडवोकेट कानून की जगह लेगा।

प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन आफ पीरियोडिकल्स बिल 2023
यह विधेयक भी राज्यसभा से पारित होने के बाद चार अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था। इसमें 1867 में बने कानून प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट को समाप्त कर उसकी जगह नया विधेयक लाया जा रहा है। नये विधेयक में बिना पंजीकरण के समाचार पत्र या पाक्षिक के प्रकाशन करने पर जुर्माना या अधिकतम छह महीने तक की सजा का प्रावधान किया गया है।

पोस्ट आफिस बिल 2023
यह विधेयक 10 अगस्त को राज्यसभा में पेश किया जा चुका है। इसे पोस्ट आफिस को वर्तमान जरूरतों के हिसाब से तैयार करने के लिए लाया गया है। यह भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 की जगह लेता है।