व्यापारी किसानों से नए सीजन के गेहूं की खरीदारी करने से बचें, सरकार की अपील

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नई दिल्ली। भारत सरकार ने वैश्विक और घरेलू व्यापारियों (global and domestic traders) से कहा है कि वे स्थानीय किसानों (local farmers) से नए सीजन के गेहूं की खरीदारी करने से बचें। अगर व्यापारी ऐसा करते हैं तो सरकारी एंजेंसी भारतीय खाद्य निगम (FCI) को अपने घटते भंडार (storage) को बढ़ाने के लिए बड़ी मात्रा में गेहूं खरीदने में मदद मिलेगी। यह जानकारी रॉयटर्स ने दी।

भारत चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं उपभोक्ता और उत्पादक (wheat consumer and grower ) देश है। सरकार ने 2022 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और वह 2022 और 2023 में शुष्क मौसम के कारण उत्पादन प्रभावित होने के बाद अब स्टॉक बढ़ाने और कीमतों में बढ़ोतरी करना चाहती है।

गेहूं की बढ़ती कीमतों ने सरकार को स्थानीय आपूर्ति (local supplies) को बढ़ावा देने के लिए रिकॉर्ड मात्रा में बेचने के लिए मजबूर किया, जिससे दुनिया के सबसे बड़े खाद्य कल्याण कार्यक्रम (food welfare programme) के लिए जरूरी भंडार (reserves) में कमी आई, जिसके तहत लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज दिया जाता है।

व्यापारियों और सरकारी सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि सरकार ने निजी व्यापारियों (private traders ) को थोक बाजारों (wholesale markets ) से दूर रहने के लिए कहा है, जहां किसान आमतौर पर अपनी उपज FCI या निजी व्यापारियों को बेचते हैं।

सूत्रों ने बताया कि सरकार ने अनौपचारिक रूप से (informally) निजी व्यापारियों को कम से कम अप्रैल में गेहूं खरीदने से बचने के लिए कहा है। सरकार की तरफ से 2007 के बाद यह इस तरह का पहला गाइडेंस है। गौरतलब है कि मई के मध्य के बाद से गेहूं की खरीद कम होने लगती है।

रॉयटर्स को सूत्रों ने बताया, ‘हम अप्रैल में खरीदारी नहीं करने जा रहे हैं। हम मई तक इंतजार करेंगे।’वैश्विक व्यापार करने वाले मुंबई स्थित एक व्यापारी ने कहा, ‘प्रोसेसरों और छोटे व्यापारियों को छोड़कर, हर कोई सरकार के निर्देशों का पालन करेगा।’

भारत के अनाज बाजारों में सक्रिय व्यापारियों में कारगिल इंक (Cargill Inc), हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (Hindustan Unilever Ltd), ITC Ltd, लुइस ड्रेफस कंपनी (Louis Dreyfus Company) और औलम ग्रुप (Olam Group) शामिल हैं

सूत्रों ने कहा FCI की योजना 30 मिलियन टन गेहूं खरीदने की है ऐसे में सरकार ने सबसे ज्यादा गेहूं उत्पादक राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि निजी व्यापारी इस साल कम से कम 30 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं खरीदने की FCI की योजना के रास्ते में न आएं।

बता दें कि 2023 में, FCI ने स्थानीय किसानों से 26.2 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं खरीदा था, जो उसके 34.15 मिलियन मीट्रिक टन के लक्ष्य से कम था। पिछले साल की कम खरीद के कारण, मार्च की शुरुआत में सरकारी गोदामों में गेहूं का भंडार गिरकर 9.7 मिलियन मीट्रिक टन हो गया, जो 2017 के बाद से सबसे कम है।

लोकसभा चुनाव बड़ी वजह
गिरते भंडार के बावजूद, भारत सरकार ने गेहूं के आयात का विरोध किया है क्योंकि विदेशी खरीद से कई किसान रूठ जाते हैं और इसका खामियाजा चुनावों में देखने को मिलता है। 19 अप्रैल से भारत में लोकसभा चुनाव शुरू होने जा रहा है। ऐसे में सरकार कोई भी ऐसा रिस्क नहीं लेना चाहेगी, जिससे उसकी साख पर असर पड़े।

पिछले सप्ताह अमेरिका के कृषि विभाग ( United States Department of Agriculture ) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का कम गेहूं भंडार सरकार को इस वर्ष 2 मिलियन मीट्रिक टन अनाज आयात करने के लिए मजबूर कर सकता है।

सूत्रों ने कहा कि FCI का ध्यान सबसे ज्यादा उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश पर है, जिसने ऐतिहासिक रूप से FCI की गेहूं खरीद में 2% से कम योगदान दिया है। राज्य सरकार ने रेलवे से अप्रैल में बड़े व्यापारियों को माल ढुलाई कारें (freight cars) उपलब्ध नहीं कराने के लिए कहा है।

जिले के अधिकारियों (district officials ) को संबोधित और रॉयटर्स द्वारा देखे गए एक सरकारी पत्र के मुताबिक, उत्तर प्रदेश ने स्थानीय अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि बड़े व्यापारियों को बड़ी मात्रा में गेहूं खरीदने का मौका न मिले।

क्या है नए गेहूं की कीमत
FCI ने हाल ही में किसानों से राज्य-निर्धारित 2,275 रुपये ($27.29) प्रति 100 किलोग्राम पर नया गेहूं खरीदना शुरू किया है, जबकि खुले बाजार में इसकी दर लगभग 2,500 रुपये है।