वैट के लंबित मामलों का निस्तारण कर फाइलों को पूर्ण रूप से बंद किया जाए

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वैट और जीएसटी संबंधित मामलों को लेकर वाणिज्यिक कर विभाग के उपायुक्त से मिला व्यापारियों का प्रतिनिधिमंडल

कोटा। VAT pending cases: कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी एवं दी एसएसआई एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष गोविन्दराम मित्तल के नेतृत्व मे एक प्रतिनिधिमंडल ने आज वाणिज्यिक कर विभाग के उपायुक्त शम्भू दयाल मीणा से भेंट कर जीएसटी (GST) एवं वैट (VAT) संबंधी समस्याओं से अवगत कराया।

कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी ने बताया कि जीएसटी लागू हुए 6 वर्ष से अधिक हो गये। लेकिन अभी भी वैट के लम्बित मामलों का निस्तारण नहीं हुआ है। जबकि एमनेस्टी स्कीम आने के बाद वैट से संबंधित सभी मामलों का निस्तारण हो जाना चाहिए था। आज भी कई व्यापारियों एवं उद्यमियों की फाइलें लंबित पड़ी हुई हैं।

उन्होंने उपायुक्त को बताया कि आये दिन वैट से सम्बधित नोटिस एव खानापूर्ति की मांग विभाग द्वारा की जाती है। उन्होंने उपायुक्त एसडी मीणा से मांग की कि इनके चलते विभाग भी इन लम्बित पडी फाइलो मे उलझा रहता है। अतः ऐसे मसलों को समझौता समिति के माध्यम से 31 मार्च 2024 तक निस्तारण कर सभी फाइले बन्द कर देनी चाहिए। ताकि व्यापारियों और उद्यमियों के साथ-साथ विभाग का भी कार्य भार भी कम हो सके।

माहेश्वरी ने कहा कि विभाग द्वारा 2017 से अभी तक जीएसटी की ऑडिट निकाली जा रही है, जो औचित्यहीन है। क्योंकी जीएसटी लागू होने के बाद उसमे कई खामियां एवं विसंगतियां थीं, जिन्हें बाद मे दुरस्त किया गया। कानून की जानकारी नहीं होने के कारण कई गलतियां व्यापारियों एवं उद्यमियों से अपना रिटर्न भरते समय हुई। अत: ऐसे मामलो में पिछले वर्षों का ऑडिट नही होना चाहिए। वर्तमान वित्तीय वर्ष की ही ऑडिट हो, जिससे अनावश्यक विवादों से बचा जा सके ।

एसोसियेशन के संस्थापक अध्यक्ष गोविन्दराम मित्तल ने कहा कि वर्तमान में जीएसटी की ऑडिट को वापस लिया गया है, तो विभागीय जीएसटी को भी वापस लिया जाना चाहिए। जीएसटी के लिए एक ही रिटर्न होना चाहिए। इसके चार स्लेब के बजाए एक ही स्लेब होना चाहिए। पेट्रोलियम उत्पाद एवं भूमि सम्बन्धित मामले भी जीएसटी के अंतर्गत होने चाहिए।

कोटा मोटर व्हीकल डीलर्स एसोसियेशन के सचिव अनिल मूंदड़ा, लघु उद्योग भारती के पूर्व अध्यक्ष यशपाल भाटिया एवं मनोज राठी ने बताया वर्तमान मे कोटा कोचिंग एवं हॉस्टल व्यवसाय कोटा की रीढ की हड्डी है। इससे लाखों लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है। छात्रावास एवं आवासीय भवनों के मामलों में जीएसटी का कोई स्पष्टीकरण नहीं है, जिसके आधार पर हॉस्टल एवं आवासीय भवनों पर जीएसटी लागू नहीं होता है। विभाग को इस मसले पर सहयोगात्मक रुख अपनाना चाहिए।

उपायुक्त शम्भू दयाल मीणा ने कहा कि विभाग द्वारा वैट से सम्बन्धित अधिकतर मामलो का निस्तारण कर दिया गया है। व्यापारी व उद्यमी लंबित पड़े मामलों में सहयोगात्मक रूख अपनाते हैं, तो विभाग की मंशा है कि सभी मामलों का निस्तारण कर इन फाइलों को बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी के लिए जो भी मांगे व्यापारियों एवं उद्यमियों द्वारा रखी गई हैं उन सभी मामलों को जीएसटी काउंसलिंग तक भेज दिया जाएगा।