लोन मिला 23 लाख का, बैंक वसूल रहा 49 लाख के लोन पर किस्त

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कोटा। कभी कभी बैंक अपनी गलती भी नहीं मानते। सारा दोष ग्राहक के माथे मंड देते हैं ऐसे कई मामले आये दिन बैंकों के देखने और सुनने को मिल जायेंगे। ऐसा ही एक मामला शुक्रवार को रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया जयपुर कार्यालय की ओर से पुरुषार्थ भवन में बैंकिंग लोकपाल आपके द्वार कार्यक्रम, ग्राहक जागरूकता अभियान के तहत लोकपाल सीडी श्रीनिवासन के सामने आया।

मामला सेन्ट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया का है। ग्राहक ने स्वरोजगार के लिए बैंक से 49 लाख रुपये का लोन मंजूर हुआ। लेकिन बैंक ने उसे 23 लाख ही दिए। इसके बाद बैंक ने 49 लाख के लोन पर क़िस्त काटनी शुरू कर दी। ग्राहक का कहना था कि पिछले दो साल से बैंक के चक्कर लगा-लगा कर परेशांन है।

पूरा लोन नहीं मिलने से वह अपना काम भी शुरू नहीं कर पाया। पास की जमा पूंजी पर खर्च हो गई। उधर, बैंक खाता एनपीए कर दिया। बैंक की इस गलती से परेशान ग्राहक ने लोकपाल को इस मामले की शिकायत की।

केंसिल चेक से खाते से निकल गए 40 हजार
इसी तरह एक ग्राहक ने बताया कि उसने बैंक को 40 हजार का बिना साइन किया केंसिल चेक दिया था। उसके खाते से मालवीय नगर एक्सिस बैंक शाखा से 40 हजार रुपये निकल गए। ब्रांच में शिकायत करने पर भी आज तक खाते में रुपये जमा नहीं हुए।

सिबिल में नाम आने से लोन नहीं मिला
ग्राहक बाबूलाल गौतम ने बताया कि उसने विद्या लक्ष्मी योजना में एजुकेशन लोन के लिए आवेदन किया था। एसबीआई ने उसका नाम सिबिल में आने के कारण लोन नहीं दिया। जबकि वह लोन डिफाल्टर नहीं था। उसके नाम में से मिलता जुलता किसी ओर का नाम था। बैंक ने कहा कि पहले सिबिल में से नाम हटवाओ। नाम हटवाने के बाद दुबारा पोर्टल पर आवेदन किया, लेकिन पोर्टल में प्रॉब्लम के कारण आवेदन नहीं हुआ।

कंसॉलिटेड चार्जेज
एक्सिस बैंक के ग्राहक की शिकायत थी कि बैंक ने बिना सूचना कंसॉलिटेड चार्जेज के नाम पर 600 रुपये काट लिए। बैंक को शिकायत की किन्तु बैंक ने शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया। यह मामला भी ग्राहक ने बैंकिंग लोकपाल के सामने रखा।

कार्यकम का शुभारंभ आरबीआई जयपुर में सचिव मनोज माथुर द्वारा किया गया। उन्होने सभी को बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 के बारे में अवगत कराया। इस दौरान 250 बैंकिंग ग्राहकों ने भाग लेकर अपनी समस्याओं से अवगत कराया। बैंकों ने शिकायतों को निपटान का आश्वासन दिया। कार्यक्रम के दौरान शहर के सभी बैंकर्स मौजूद थे।